YOGA AND TOTAL HEALTH • January 2018^31
जता्ता है योग के आदद आचताय्श दहिणयगभ्श
हैं।
हिरण्गर्भ ्ोगस् वकतया नयान््यः पुरयातनयः
(ज्तानवलय) यताछन दहिणयगभ्श ही योग
के वक्ता हैं, इनसे पुिता्न औि कोई
वक्ता नहीं हैं। दहिणयगभ्श की वेद में भरी
स्ुछ् की गई है।
वेदों में योग रबद के अथ्श ममल् े हैं,
जैसे ‘युज समताधौ’ ‘युज संयमने’। भगव्
गरी्ता में न केवल योग रबद कता अनेक
बताि प्रयोग हुआ है अवप्ु उसमें अनेक
प्रकताि के योगों की ओि संके् भरी ममल्ता
है।
्ोग सूत्रकयार पतञ्जलल मुनन
योग दर्शन के सूत्रकताि प्ञजमल मुछन
के जरीवन के बतािे में प्रमताणण् रूप से
कुि भरी कहनता संभव नहीं है पिं्ु उनकता
समय 200-400 ईसता पूव्श मतानता जता्ता
है।
संसककृ् में प्ंजमल के नताम से ्रीन
ग्रन्थ प्रचमल् हैं- योगसूत्र, पताणणनरीककृ्
अष्टताधयतायरी पि वयताखयतान (महताभताषय)
इस मदहने से योग जन्शल में योगसूत्रों
की श्ंखलता रुरू कि िहे हैं- योगसूत्रों
को रुरू किने से पहले योग दर्शन कता
संक्षिप् परिचय आवशयक है
योग रतासत्र कता प्रताि्मभ कब से हुआ,
ककसने ककयता- थोड़ता सता ऐछ्हतामसक
परिचय इस लेख के द्वतािता किने कता
प्रयतन है।
योग सतांखय दर्शन कता करियतातमक रूप
है। महताभताि् के रताकन्् पव्श 316-2 में
कहता गयता है-
नयाससत सयांख्समं ज्यानं
नयाससत ्ोगसमं बलम्
यताछन सतांखय के समतान औि कोई दूसिता
ज्तान नहीं है औि योग के समतान दूसिता
कोई बल नहीं है।
योग कता प्रताि्मभ कब हुआ ये प्रमताणण्
रूप से कहनता स्मभव नहीं है लेककन
हमताि े प्रताचरीन् म ग्रन्थों- वेदों, उपछनषदों, ्
महताभताि्, गरी्ता में योग स्मबकन्ध्
पयता्शप् सतामग्ररी प्रताप् हो्री है। कहता
प्रलमल ्जैन लसकवे रया
्ोग दर ्भन कया
संक्षिपत पररच्