(^32) YOGA AND TOTAL HEALTH • February 2018
अनुशासन का अथि्त है कुछ तन्मों का
रदन प्ततरदन पालन करना, अपने अंदर
एक उगचत क्रम लाना, एक तन्म लाना।
्ह शबद ्ोग सशक्ा के सल्े अ््नत
मह्वपूण्त है। अनुशासन द्वारा ही सही
मानससक तसथितरी समभव है। ्हाँ महत्््त
पतञजसल उस अनुशासन की बात कर
रहे हैं जो परमपरागत रूप से चला आ
रहा है।
्ोग द्वारा हमारे आनतररक जरीवन की
्ात्रा शुरू होतरी है, ्ही एक ऐसरी सशक्ा
है जो हमें अपने सत्रोत की ओर ले जातरी
है। ्ोग अनुभव शासत्र है- इसे कक्ा
नहीं जाता, तज्ा जाता है। ्े जरीवन में
उतारने का शासत्र है, अभ्ास का शासत्र
है।
सवाल उ्ता है, इस मह्वपूण्त शासत्र
के अध््न व अभ्ास के सल्े ककस
प्कार का गचति आव््क है?
व्ास भास् के अनुसार गचति की
सहज और सवाभात्वक पाँच अवसथिाएँ हैं,
जो गचति भूसम के नाम से जानरी जातरी हैं।
गचति का तनमा्तण तरीन गुण- रजस, स्व
गुरू-सशष् परमपरा से प्ापत, अनारदकाल
से चले आ रहे “्ोग” व महत्््त पतञजसल
द्वारा रगचत ्ोग शासत्र का ्हाँ से
प्ारमभ हो रहा है।
अथि शबद आरमभवाचक और मंगलाथि्त
है। प्ाचरीनकाल में अनेक शासत्रों का
आरमभ अथि शबद द्वारा ही कक्ा ग्ा
है। ्ह शबद श्द््धा और सममान की
भावना जागृत करता है, मन को तै्ार
करता है, एकाग्र करता है, मन में सही
भावना पैदा करता है। इस शबद का
आध्ात्मक मह्व भरी है। अब हम उस
शासत्र का अध््न करने जा रहे हैं जो
महत्् ्त पतंजसल द्वारा रगचत है।
्ोग शबद को एक पररभा्ा में व्कत
करना कर्न है। अलग-अलग ्ोग
प्णासल्ों में इसे अलग-अलग पररभात््त
कक्ा ग्ा है। जैसे भतकत ्ोग में आ्मा
और परमा्मा के मेल को ्ोग कहते हैं।
कम्त ्ोग में ‘्ोगः कम्तसौ कौशलम’ ्
्ातन का््त की तनपुणता को ्ोग माना
ग्ा है। ्हाँ ्ोग का अथि्त है ‘्ुज
समा्धौ’ अथिा्तत समाग्ध को ्ोग कहते
हैं – जहाँ मन पूरी तरह एकाग्र हो।
प्ोसमल रैन स सकिे रा
्ोग सूत्र
सूत्र – अथ्ोगानयशासनम ।1।्
ron
(Ron)
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