(^34) YOGA AND TOTAL HEALTH • February 2018
भरी लम बे सम ् तक ध्ान लगा्ा जा
सकता है । बाह् वृत्ति्ों का जैसे तनरो्ध
हो जाता है, वैराग् में तसथिर ्ह गचति
भौततक जगत से प्भात्वत नहीं हो पाता।
- ननरोध भूसम– ्ह गचति की वह अवसथिा
है जहाँ त्वचार ्धारा पूण्त रूप से समापत
सरी हो गई है इसरीसल्े इसे तनरो्ध भूसम
कहते हैं। जब त्ववेक ख्ातत द्वारा गचति
और पुरू् के भेद का साक्ा्कार हो
जाता है, तब पर वैराग् (वैराग् की
उचचतम अवसथिा) का उद् होता है।
त्ववेक ख्ातत भरी गचति की एक वत्ति है, ृ
इस वृत्ति के तनरो्ध होने पर ही गचति की
शून्ावसथिा ्ा कहें, पूण्त तनरो्धावसथिा
होतरी है। सव्त वृत्ति तनरो्ध होने पर ही
कैव््ावसथिा प्ापत होतरी है, जो ्ोग का
अतनतम लक्् है।
उपरोकत दो भूसम्ों को ‘समारहत गचति’
के नाम से भरी जाना जाता है।
्ोगाभ्ास गचति की पाँचों अवसथिाओं में
संभव है, लेककन पहली तरीन अवसथिाओं
में गचति अतसथिर, आ्स्पूण्त एवं चंचल
होने के कारण हम जो सरीखते हैं, सहज
ही भूल जाते हैं। इससल् े ्ोग इन तरीन
भूसम्ों में दबा रहता है, अतनतम दो
भूसम्ों में गचति में एकाग्रता आ जाने से
्ोग प्क्ट होता है।
गचनतन मनन के सलए-
- ्ोगाभ्ास के सल्े ककस प्कार का
अनुशासन आप अपने जरीवन में लाना
चाहेंगे? - क्ा हम अपने मन की कमजोरर्ों
को ्ीक प्कार से देख ्ा समझ सकते
हैं? - थिोडा सा अपने गचति का तनरीक्ण
कीतज् े और देखख्े कक अग्धकतर आप
ककस गचति भूसम में रहते हैं व उसके क्ा
लक्ण हैं?