Yoga and Total Health — February 2018

(Ron) #1
YOGA AND TOTAL HEALTH • February 2018^37

कुछ समझने के बाद ्ह जरूरी है कक
हम जरीवन में तनावमुकत रवै ्ा अपना्ें
इसके सल्े मन को प्सशक्क्त करना
व रदमाग को क्रमशः तन्ंत्त्रत करना
सरीखना होगा। इसके साथि-साथि हमारी
रदनच्ा्त को और भरी सवसथि बनाना होगा
जब रदनच्ा्त व्वतसथित होगरी तब हमें
्टेंशन करना का सम् ही नहीं समलेगा।

शरीर को खखंचाव देने वाले आसान
से आसन तजनसे हमारे हरेक जोडों को
कसरत समल रही हो वे तन्समत रूप से
करना, 15 से 20 समन्ट पैदल चलना,
सही खानपान तथिा अचछी नरींद जरूरी
है। इन सबसे शरीर सवसथि रहेगा। जोडों
के दद्त में ्ंड दु्मनरी का काम करतरी है
तब शरीर को गरमरी देना जरूरी है। ्ंडे
पानरी से सनान, पंखा, ए्रकंडरीशन हमारे
रोगों को बढ़ा्ेगा। उससे त्वपरीत गम्त
पानरी की थिैली का सेंक, ्धूप का सेंक,
कसरत, आसन, प्ाणा्ाम, पैदल चलना
वगैरह शरीर को सवसथि रखता है। डॉ.
ज्देव कहते हैं कक खानपान में बहुत
ज्ादा हाई प्ो्टीन लेने से घु्टने में दद्त
होने लगता है। उपरोकत सारे का््त करने
से तथिा मन को हमेशा सकारा्मक रखने
से हम शरीर के हर प्कार के दद्त को कम
कर सकते हैं।

बुद््ध ने एक सभक्ु को गाँव से सभक्ा


मांग कर लाने को कहा। लेककन बुद््ध ने


साथि में कहा- “गाँव के लोग सन्ासस्ों


को अपशबद बोलते हैं उनहें सन्ासरी पसंद


नहीं है, तुम क्ा करोगे? जब लोग तुमहें


गाली देंगे” सभक्ु ने जबाव रद्ा- “प्भु


गाली ही तो देंगे न मारेंगे तो नहीं, मैं


तो ्धरीरता पूव्त क अपना काम करके वापस


आ जाउँगा।“ बुद््ध ने कहा- “शा्द तुमहें


मारें भरी, तो क्ा करोगे” तो सभक्ु ने


कहा- “प्भु मारेंगे ही न, इतना तो नहीं


मारेंगे कक म मर जाऊं मैं ैं ते आपके


सल्े सभक्ा मांग कर वापस आऊंगा।”


इसपर बुद््ध ने कहा- “हो सकता है सब


समलकर इतना मार दें कक तुम मर जाओ


कफर क्ा” तो सभक्ु ने हंस कर शांतत


से, तसमथि के साथि कहा – “आपकी सेवा


करते करते, अपना कत्तव् करते करते


अगर मुझे मृ््ु भरी आ जा्े तो मैं


अपने आपको बहुत ्धन् समझूंगा, मैं


तो अभरी ग्ा और आ्ा।“


जब हम जरीवन की कर्नाइ्ों के साथि


अपने आपको ढालते हैं तो कभरी-कभरी हम


अपने आपसे ही ज्ादतरी कर बै ्ते हैं


अपने आप को ही नुकसान पहुँचा बै ्ते हैं


इससे हमारे अंदर बरीमारर्ों की शुरूआत


हो जातरी है इसे साइकोसोमेर्टक डडसरीज


कहते हैं। आजकल लगभग तजतने भरी


रोग हम सुनते हैं, वे सभरी इन श्ेखण्ों


में आते हैं। हमारे शरीर में जगह-जगह


दद्त होना, हमारे पाचन शतकत मे गडबड


होना, हमारे मन की एकाग्रता त्बगडना,


नरींद में कर्नाई, भूख न लगना, हाई


्ा लो बलड प्ेशर की सशका्तें ऐसरी


कई बरी मारर्ाँ शुरू हो जातरी हैं। ्ह सब

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