स्वर्णिम दर्पण

(Kumar dhananjay suman) #1
उाव ( उर देश )

कώव भरत Υमȁ


जब कोई मेरा हो जायेगा !!

आमंण सब मल रहे है एक दूजे से
तुम कहां हो आओ ना
जरा सजा लो तुम भी महदी
अपने ार के नाम क

भेज दो भाई को अपने
लेकर शगुन ार का
खीच दो मेरी जीवन रेखा
एक स दूर से अपने मांग म

ीकार कर लो सपदी
जीवन भर साथ नभाने क
वरना फर पछतोगे जर

आमंǴण

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