स्वर्णिम दर्पण

(Kumar dhananjay suman) #1

8279292339


जयपुर , राजान

मीता लु θनवाल


फर आयेगा

कसी एक के जाने से
ज़गी कती नही
ये साई है संसार क
कोई साँस यूँ साथ मे थमती नही
नरर बहती है
ज़गी क नदी ये यूँ जमती नही
आया है वो जाएगा
तू रोकना कसी को पायेगा
उस आा को शांत दे
ार से उसको याद कर
रो कर ना उसे तू क दे
इस बन से आजाद कर
पुनज ले लौट कर
वो आयेगा
नए शरीर से नए रे वो नभायेगा
फर इस संसार मे रम जाएगा
ये दुनया ऐसे ही चल रही
जो आया है वो जाएगा
जो गया है लौट कर

Υज˭गी υकती नही

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