स्वर्णिम दर्पण

(Kumar dhananjay suman) #1

आशा झा सखी


सदा वो बस इतनी आशा रखती है ।।

माँ तेरे चरण म संसार है ।
तेरी भ म जीवन का सार है
शैलपुी , चारणी , चंघंटा
कु ांडा , ं दमाता , काायनी
कालरा , महागौरी , सदाी
माँ नवरा के तेरे नाम ह ।
जो जपता नशदन इनको
हो जाते उनके पूरे काम ह
सुख ,शांत , समृ और आरो
माँ , वैभव तुम बरसाती हो
करती दूर अानता जगत म
ान का काश फै लाती हो
जो ाता मन , म और वचन से
तुम उसके दुख हर जाती हो
देकर मनवांछत फल उसको
अपनी कृ पा बरसाती हो माँ ,
बस तुमसे इतनी अज हमारी है
फै ल रही महामारी जग म
ससक रही मानवता सारी है
सुन लो कण पुकार मानव क
तुम अपना च चला दो माँ
बढ़ते ए कोरोना दानव का
तुम पल म शीश गरा दो माँ
देकर अपनी कृ पा
मानव जात का उार करो
खूब फले धम - संृ त
ऐसे गुण क बरसात करो माँ ,
तेरे चरण म तेरी बेटी बस यही
वनती करती है रहे दूर दुगुण से

ώवनती

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