स्वर्णिम दर्पण

(Kumar dhananjay suman) #1

9554438814


उर देश

सौरभ पांडेय


 - ब हो कोई भी तलब पाक होना चाहए

बुराई को मटा सकू कु छ हत चाहए
आख़रत म सा इमान होना चाहए
दल म तमा देश क हफाजत चाहए
ह हर श का पाक होना चाहए
मतलबी दुनया म थोड़ा सा ार चाहए
झूठे महफ़ल के ख़लश से शफा चाहए
दो व का खाना , दो गज जमीन चाहए
जीने के लए रोटी , और सोने को घर चाहए
ढक जाए तन जससे ऐसा लवाज़ चाहए
मरने के बाद , कफ़न से ढका शरीर चाहए
हर घड़ी चेहरे पे ह सी मुान चाहए
ह नकलने के बाद भी नूर होना चाहए
आंख म नमी दल मे कशश होना चाहए

ईमान

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