स्वर्णिम दर्पण

(Kumar dhananjay suman) #1
पथौरागढ़ उराखंड

बीना पाटनी


समाज म मले मान और सान ।।

मुझे भी पढ़ना है
मुझे भी अधकार है
मै भी पाठशाला जाऊं
अ , आ , क , ख , ए , बी सी डी
हर श का ान मै पाँऊ ।
मुझे भी पढ़ने जाना है
अपना मान बढ़ाना है
पढ़ लख मै जाऊं
हौसल क उड़ान मै लगाऊं ।।
दो कु ल का मान मै बढ़ाऊँ
अगर पढ़ लख मै जाऊं
बटाऊं गी हाथ बाबा मै तुारा
न करना पड़ेगा संघष
तु जीवन भर सारा ।
न करो तुम मुझ पे शंका
जलने दो दया मेरी उीद का
आपका नाम मै रोशन कगी
व म अपना परचम फहराउँगी
। बनाऊं खुद क अलग पहचान
मले मुझको भी सान
शा के मै पंख लगाकर
हर े म बाजी मा
छू लूं म भी आसमान ।
नरंगी मै अशत
न रँगी पुष पर नभर
मले मुझको भी समान अधकार

समान अβधकार

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