स्वर्णिम दर्पण

(Kumar dhananjay suman) #1

98072 88958


गोरखपुर, उरदेश

सόरता सरस


य क रीढ़ पर
रखा होता है पूरा घर
बखरने और बनने के बीच
कतनी बार टूटती ह यां.....

जन्म क पीड़ा से
सव क पीड़ा तक...
पता, पत, बेटे तक
माँ, प, बेटी तक....

अर सुना है
य क रीढ़ नह होती
अगर सच नह होती रीढ़
तो तुारे घर
जदा नह बचते....
तुम्हारा कोई वंश नह होता..

तुारी रीढ़ को सीधा
और जदा रखने म
रीढ़ से टेढ़ी लगती ह
तु यां......

देखना जस दन पलायन
कर लगी ये यां
तुारी रीढ़
सूखे दर - सी
हवा के एक झके म
गर पड़ेगी..........!!

रीढ़ से टे ढ़ी ϘΔयां

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