स्वर्णिम दर्पण

(Kumar dhananjay suman) #1

ǹेम के Ϗǹयतम


ेम के यतम


तु मै आँख का काजल बना लूं।


तुम चलो तो राह अपनी....


धूप जो तुमको लगे,


मै ह को आंचल बना दूं...!


तेरे दुख क पीर सारी


आँख म भर बंद कर लूं


तृ कर लूं बूंद से अ अपना


सात सुर को परो कर


अनहद नाद का पायल बना दूं....!


ेम के यतम,


तुझे म आँख का काजल बना लूं।


मुु राती धूप हो


और गुनगुनाती बारश,


बीन लाऊँ तुारे भाव का हर एक मोती


गूँथ लूं दय क धमनय म..


गह लूं शू को और


नेह का कपल बना दूं..


ेम के यतम,


तुझे मै आँख का काजल बना लूं।



  • सरता सरस

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