स्वर्णिम दर्पण

(Kumar dhananjay suman) #1
अंबाह जला मुरैना

डॉ एल एस ώकरार


भूतेर है महाबली,
देव के सरताज !!

मानव पर सकं ट बड़ा ,
आए बचाओ लाज !!

भोले शंकर कहते सब,
नंदी वाहन तुार !!

शीश च है बराजता,
जटा गंग क धार !!

तेरी इा से जगतपत,
सृ कर ृंगार !!

एक हाथ शूल ले,
दूजै डम लया उठाए !!

गले बराजे शेष नाग,
तन पर भ रमाए !!

महाकाल से काल भी,
चलता नजर बचाए !!

कू ट हलाहल बष पया,
नीलकं ठेर कह लाए !!

भ जसने भी करी ,
दया अमर बनाए !!

भांग धतूरा दूध शहद फल,
पंचत ही खाए !!

देव के हो तुम देव भु ,
महादेव कहलाए !!

भूतेͷर हκ महाबली

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