मोह͂द फ़ै जान दाθनश
स द य म धूप क दुआएं हो रही
बरसात आते ही छत बनाया जा रहा
शहर म सब खै रयत से ह
गांव म ये दखाया जा रहा है
दूसर का घर जलाया जा रहा
खुद का ऐब छु पाया जा रहा
गांव क खेती मटाई जा रही
कं प नय का तजारत बढ़ाया जा रहा
अपनी मनमानी से कू मत चलाई जा रही
आवाम को अंधी बनाई जा रही
गरीब का हक मटाया जा रहा
अमीर का मुनाफा बढ़ाया जा रहा
मजलूम क आवाज दबाई जा रही
मुसा फर को लुटेरा बताया जा रहा है
उ ीद के सूरज तो डूब चुक है
इंसाफ का सवेरा दखाया जा रहा
आज मोह े म खु शयां मनाई जा रही
बेवाओं को घर से नकाला जा रहा
इंसा नयत क ज़नाजा नकाला जा रही
का तल का हौसला बढ़ाया जा रहा है
अपने घर म रौशनी लगाई जा रही
पड़ो सय का दया बुझाया जा रहा
खु ारी क सबूत दखाई जा रहा
बेईमा नय का रंग छु पाया जा रहा है