स्वर्णिम दर्पण

(Kumar dhananjay suman) #1

7739320850


लोहर पुर, दरभंगा बहार

ाचाय- शा नके तन, दघी कला पूव,
हाजीपुर, बहार

ώवनोद कु मार झा


तुम मल गई तो सोचने लगा ।

जरत थी मुझे, खोजने लगा,
तुम मल गई तो सोचने लगा,
नाम ा है तेरा,ा है पता,
रहती हो कहां तुम, ये तो बता,
शमाने लगी, मुु राने लगी,
मुझसे तो चेहरा छु पाने लगी,
तेरा मुु राता चेहरा,
यादगार मुझे बना दया,
शमली तेरी आंख,
दशक मुझे बना दया,
जरत थी मुझे सीखने लगा,
तुम मल गई तो लखने लगा,
काम ा है तेरा,ा है पगार,
बहती हो कहां तुम ,
शहर या महार,
कु छ समय तक ही याद रहता,
खूबसूरत चेहरा तेरा,
आकषक का क बन गया,
मनमोहक वहार तेरा,
जरत थी मुझे,तपने लगा,
तुम मल गई तो सपने लगा,
ार ा है तेरा,ा है महान,
बनती हो कहां तुम,घर या जहान ,
जरत थी मुझे, खोजने लगा,

जφरत थी मुझे

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