स्वर्णिम दर्पण

(Kumar dhananjay suman) #1
दी

दी ववालय शहीद भगत सह
कॉलेज से(B.A.honrs Hindi)

आमना ख़ातून


ख़ातून क क़लम से

साज़स रान क
या बीमार शहर लखूं
तेरे न बत है
तू खुद बता म ा लखूं
बलखते मजदूर क
कहानी या लाचार शहर लखू
गूंगी आवाम या बेहरी सरकार लखूं
तू ही बता मुझे
बे-जुबां क ा औकात लखूं
हर तरफ हाहाकर मचा है
वा पर म ा लखूं
शान भरे पड़े ह
मुद क ा बात क
नही मला ऑसजन
मासूम क म बात क
बुझ गया चराग जंहा का
उस घर का रोशन दान लखूं
मां के आंसू ,अपनो का ार
और कतनो का हसाब लखूं
इस आज़ाद जंहा को
बबाद या आबाद लखूं
अब तू ही बता
म अपने क़लम के
नोख से ा लखूं
ककश भरी जदगी का
ह मेरे सामने है
रो रहा है जंहा
इसका अंत म ा लखूं ।

साΥज़स χɆरानν कΫ

Free download pdf