स्वर्णिम दर्पण

(Kumar dhananjay suman) #1

णम दपण क पूरी टीम क ओर से आप सभी को ध वाद और सुनहरे भव क


हाद क शुभकामनाएं -!!


संपादकय कलम


"णम दपण" आप सभी लेखक व पाठक का हाद क अभनन करती है।हमारा देश


ार से ही ववध कलाओं एवं वाओं के े म सूण जगत के लए आदश रहा है।


हमारे मन पी अथाह सागर म वचार क असं मुकाएँ तैर रही है।मनन-मंथन


या ारा अपने भावनाओं को श म परोकर ुत कया जाता है।


यह पका नवोदय रचनाकार का भी सेह ागत करती है।


'णम दपण' आपक कवताओं को ना के वल हजार पाठक तक सेषत करने का


काय करती है ब यह आपको ऑफलाइन साहक-सेलन म भाग लेकर गौरवात


होने का सौभा भी दान करती है।


आप सभी ने अपनी रचनाओं को बेहद उे तरीके से ुत कया है।अपने लेखन-काय क


नयमतता यूँ ही बनाएं रख सफलता नत ही आपके कदम म होगी।


आज भी हमारे देश म अनेक ऐसी तभाएं है जसम सूय सा तेज समाहत है परंतु उचत


माम अथवा साधन के आभाव म उनक तभाएं कुं ठत हो कर रह जाती है।यह पका


ऐसे रचनाकार को न के वल सवे मंच,ब उनके भीतर के को एक ऊं ची


उड़ान भी दान करती है।


मै आप सभी लेखक और पाठको के साथ - साथ अभजीत भ आशा झा सखी आमना


खातून सरता सरस जी एवं राके श वोई जी को तहे दल से ध वाद देना चाहता ं -


जने मेरे काम को अपना काय


समझ कर कया -!


संपादक क कलम से
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