स्वर्णिम दर्पण

(Kumar dhananjay suman) #1

घर का कराया और क से लेकर बजली, पानी, दवाइयां व अ घरेलू खच सबकु छ इसी कामाई


पर तो नभर था। अब ये लोग कसके भरोसे अपना आजीवका चलाएंगे? ऐसा तो है नह क मकान


मालक घर का कराया नह लेगा, ू ल ब का फस माफ कर देगा, बक कसी भी कार के चल


रहे लोन को माफ कर देगी या फर सराकर बजली बल नह लेगी। ऐसा तो कु छ भी नह होने वाला


है।


इसी कार पूण कू और लॉक डाउन के कारण तदन कामाई करने वाले छोटे छोटे ापारय,


मजदूर और सेमैन पर पड़ रहा है। उनके लए भी आजीवका चलाना मुल पड़ रहा है। अभी


पछले लॉक डाउन क मार से पूरी तरह उबर भी नह पाए थे क दूसरे लॉक डाउन क आहट ने इ


पूरी तरह से तोड़ कर रख दया है। एक बार फर से मजदूर का पलायन शु हो गया है। वही दद और


वही मुल फर से आहट दे रही ह जो पछले साल ई थी।


पूरा देश कोरोना क दूसरी लहर से कराह रहा है। तदन दो लाख से अधक लोग कोरोना से


संमत हो रहे है। कोरोना से लोग का जीवन बचाना जरी है लेकन रा सरकार और क


सरकार को कोई भी आदेश देने से पहले उनक आजीवका का बंध करना भी बेहद जरी है।


अभी भी समय है। परीाओं को टालने से बेहतर होगा क कु छ वलंब से ही परीाओं को कड़े


कोरोना नयम के अंतगत पूरी कराई जाए। इससे लाख छा क भव के लए भी सही रहेगा और


इससे जुड़े लोग क बेरोजगारी भी दूर होगी।


वनय ीवाव


(तं पकार)

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