स्वर्णिम दर्पण

(Kumar dhananjay suman) #1
डॉ मीनाƶी अβधकारी

संा- ू लुक ग पीजी, कॉलेज, लोधा, बाँसवाड़ा, राजान ।


संसार म यद सृ क कोई अुत रचना के प म शु, पव, नल ेम का तीक है तो वह माँ है । माँ श म
ममता है, कणा है, ार है, मम है ।माँ है तो मायका है , मायके क शान है । माँ का आँचल बालक क जान है ।
ज के बाद भी अटूट रा है । वह चेहरे को पढ़ना जानती है । माँ के रहने का एहसास मा हत, उाह, ऊजा का
संचरण करता है । हम संसार के हर दु:ख, मुसीबत, परेशानी से बचाकर भवसागर पार कराने क मता रखती है। माँ
पर लखने के लए कलम एवं श कम पड़ गए है । ईर ने को माँ के प म संसार का सबसे सुर तोहफा दया है ।
माँ यं भुखी रहकर पहले ब को खलाती
है । उसे पूरे परवार क चा होती है । सभी का ाल रखती है । वह ब म अपना भव देखती है । अपने सपने
ब म पूरे करती है । उसके दय क वशालता सागर से भी गहरी है । माँ ब के लए जीती - मरती
है । माँ क ममता क कमत संसार क कोई दौलत नह चुका सकती । संसार म खुशनसीब होते है वो लोग जनके माँ
होती है । माँ हो तो हर चता हर लेती है । माँ के बना यह संसार सुना लगता है , इस र क कोई पूत नह है ।
संसार म वह सबसे अमीर है जसके पास उसक माँ है, ममता है, मम है । चोट तू लगने पर दद उसे होता है, रात -
रात जागकर तू सुलाया है । सपने तुमने देख और पूरे उसने करवाएं। वह जसके सब कु छ तुम थे । ऐसी माँ का कोई
वक नह हो सकता है । संसार क हर जीवनदायनी को माँ संा
दी गई है । माँ ज से मृु तक हमारा साथ नभाती है । एक ी जीवन म पी, ब, बेटी, बहन जैसे अनेक रे
नभाती है परु सव सान माँ के पद म ही ा करती है। माँ पहली गु है, मागदशक है इससे बढ़कर वह हमारी
सी म भी है। वह जीवन का आधार ंभ है। जीवन क पाठशाला क सी गु है माँ वह हम जीवन जीना एवं
कठनाइय का ड़टकर मुकाबला करना सखाती है। वाव म माँ के बना जीवन क कना अधूरी ह।


रचत
डॉ. मीनाी अधकारी
पी - ी वनोद अधकारी कालका माता, बाँसवाड़ा, राजान, 327001
पद- अकादमक भारी


माँ- आले ख


बांसवाडा, राजान 327001
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