Ϗǹयंका पांडेय
~ यंका पांडेय
आज मन वत है , चार तरफ डर एक भयानक प लेता जा रहा है। आज चार तरफ कोरोना के ही चच चल रहे ह ठीक 2020 क तरह पर
उस समय यह कु छ नया सा था , यह बलकु ल नए मेहमान क तरह था । लॉकडाउन लगा ,सबने सहयोग कया । कसी न कसी प म
सबको डर था क ये है ा! इसके चलते सबने सावधानी से काम लया ले कन जैसे ही हम अपने दवाइय और दुआओं दोन म सफल होने
लगे वैसे ही हमने लापरवा हयाँ दखानी शु कर दी, सबको देख कर तो ऐसा लग रहा था क ठीक दो चार महीने पहले कु छ आ ही नह ! अभी
सबने अपने मा व आवरण नकाल कर अपनी बेपरवाही दखनी शु ही क थी तब तक फर कही से आवाज़ आयी , "अरे! वापस अपने
घर म रहने को तैयार हो जाओ , वो बीमारी तो फर से फै लने लगी ।"
फर भी सुनेगा कौन...? सब तो अपनी दु नया म म ह ये सोच कर क वै ीन तो आ ही गयी अब हमारा कोई ा बगाड़ेगा!
यही सोच कर क अब सब कु छ सही हो चला है सबने अपनी र ार पकड़ ली , घर म वैवा हक माहौल वापस से छाने लगे , ब े फर ू ल
जाने लगे पर ऊपर कही बात पर कसी ने थोड़ा भी ान न दया क "...बीमारी फर से फै ल रही है!" जनता तो दूर क बात है सरकार तक ने
इस बात पे ान न दया और रै लयाँ , होली समारोह आ द उ ाह का ऐलान कर दया और तब तक कोरोना ने भी सबके राजनै तक वच
को बनाने और तोड़ने क या पर एक ज़ोड़दार हथौड़ा दे मारा। उस हथौड़े क मार ऐसी पड़ी क सब फर बौखलाए घूम रहे ह पर ा
मजाल है क अब भी सावधान हो जाये । क या तो आप कृ त को सही से स ाल वरना कृ त खुद को संभाल लेगी तो आपने तो कृ त
को संभाला नह तो कृ त ने यं ही यह काय करना शु कर दया , अब कृ त जब स लेगी तो वनाश तो तय है ।
आज हमारी लापरवाही का प रणाम हमारे सामने है ..शमशान म चताओं क आग ठंडी नह हो पा रही , लाश जलाने को लक ड़याँ कम पड़ जा
रह , चम नयाँ गल जा रह फर भी इन बेपरवाह मनु को दखाई नह दे रहा या कोई देखना ही नह चाहता?
आज बैठे - बैठे यही आभास हो रहा है क ा सच म पृ ी का वनाश तय है या कु छ अ ा होने से पहले बुरा होता है? या हम ये सोच ल क
हमारे पालनकता भगवान व ु पुनः इस पृ ी पर अवत रत ह गे भगवान "क " के प म जैसा क हमारे धम ंथ म लखा है क ''कलयुग
"और "सतयुग "के सं धकाल म भगवान व ु क के प म एक ा ण के घर म ज ल गे और पृ ी पर बढ़ रहे पाप का नाश और एक
नए युग का आर कर गे ।''
इसी इंतज़ार म शायद हम अपने आप के साथ - साथ अपनी कलम को भी समझा रहे ह ।
काश मेरी ये बात ादातर लोग के पास प ंचे और लोग अपनी गल तय को अभी भी सुधार ल ।
ध वाद।
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गोरखपुर उ र देश