स्वर्णिम दर्पण

(Kumar dhananjay suman) #1
अनु णका (ग भाग)





म संा
























रचना (रचनाकार)

ज़रत थी मुझे - वनोद कु मार झा
दूरयां - उमा'पुपुन'
पौषाहार भारी क था - जगदीश सयाग
पथक- रचना वश
भारत दशन (मेरा हुान) - सुखवधन पोरवाल
म लखना चाहता ं - दैवे कु मार
मेरे जो हसले है , मुशाफर - आया यादव
ु नह आएं सपन - मंजु लोढ़ा
साज़स रान क - आमना खातून
साजद अली सतरंगी -- ग़ज़ल
सफ तु -- मीनाी गंगवार 41

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म संा

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रचना (रचनाकार)

डॉ कुँ अर बेचैन को नमन
दद और बेरोजगारी क चौखट पर फर से पंचा दया
(वनय ीवाव)
पताजी (सरता सरस)
मां (डॉ मीनाी)
चताओं क आग (यंका पांडेय)
दवानगी(राजेश कु मार नंदलाल)
कोरोना से सीख (शुाराजीव)
पीली साड़ी (आशा झा सखी) 53

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