6388852346
म.नं .163 जमुआ , पो - देवघाट ' ,
तहसील -कोरांव जला - यागराज उ.
.(212306)
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पूनम θसέह ǹयागराज
पु ष होना भी आसान नह होता है ।।
पु ष होना आसान नह होता है
पु ष न जाने कतनी ज ेदा रय का बोझ उठाता है
अपनी भावनाओं को सीने म समेट रखता है
पु ष हर रोज नए करदार म जीता है
एक अ े बेटे का करदार नभाता है
एक अ े जामाता होने का फज अदा करता है
समाज मे अपनी एक श क क भू मका नभाता है
ज ेदारी के तले दबा पु ष उफ़ भी नह करता
कलाई पर हर बहन क राखी का इंतजार है
पु ष कसी औरत का हमसफ़र होता है
हर बूढ़े माँ - बाप क आँख का नूर होता है
पु ष न जाने कतनी ज ेदा रय का बोझ उठाता है
हर दद को सहकर भी मु ु राता है
गम के आंसुओं को घूंट भर म पी जाता है
पु ष क कतना भी पड़े आँसू भी नह बहा पाता है
तभी तो पु ष प र दल कहलाता है
उसके सीने म भी एक दल होता है
पु ष जब रोता है , आसमां भी रो उठता है
धरती कांप जाती है , कृ त भी ं दन करती है
पु ष न जाने कतनी ज ेदा रय का बोझ उठाता है
अपनी भावनाओं को सीने म समेट रखता है
पुυष होना आसान नहα