यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
ज्मादा दान देकय सयकायी सहामता ऩाने की ऩगडण्डी फना सके |

सफको एक रक्ष्म के ऩीछे दौड़ना भाभ


री नही ॊ ववयरों का ही काभ है जफ सभम घय घय भें नोिों की चगनने वारी

भशीनो के खयीदने का िर यहा हो | वास्तववक सच्िाई मह है कक सोि कक सफसे ननिरी सीढ़ी व्मष्ट्क्तवाद ऩय चगय

जाकय ककतना बी अच्छा कयरे ऩरयणाभ उल्िा ही आता है |

टदखाओ ऩय भत जाओ अऩनी अक्कर रगाओ औय काभ के आधाय ऩय रोह ऩ


रुष कक उऩाचध ऩाने वारे श्ी सयदाय

फल्रफ बाई ऩिेर की भ


नतत के स्थान ऩय उनकी सोि, यारिीम एकीकयण के कभत को उप्ऩय यखकय एकबित बायत के

नक़्श े मा प्रनतक की भ


नत तफनाओ व इसकी नीव भें श्ी सयदाय ऩिेर के साथ िौयाहे ऩय खड़ी भ


नतमत ों को रगाओ व

इसके टदर भें कॊप्म


िय रगाकय देश के ब


तकार के आकड़ो का सॊग्रह केंर फनाओ तो दौड़ सही टदशा भें जाएगी

.............हभें बी अफ औय दौड़ना है क्म


की कटहमो को गड्डो भें चगयने से फिाना है.............1 2 3 गो .......

सत्माऩन ..... ...... ... इस दौड़ को सभझन ेव कौन-कौन बाग रेने वारे है.... ष्ट्जसे हभ हय भ



तत

व ईभायत के हवा भें उठने के साथ बेज देते है |

30 - 04 - 2017 - जनता, याजनेता, क



सीधायी, नामक/नानमकामे ने दौड़ रगाई कपय लशवाजी की प्रनतभा न ेदौड़ रगाई

इनको देख बगवान की भ


नतमत ा बी दौड़ने रगी अफ ऩ


या भॊटदय दौड़ भें शालभर हो गमा ...... आऩके वैऻाननक-ववश्रेषण

की सच्िाई ऩय

ऽफय:- व


ॊदावन भें द


ननमा का सफसे फड़ा भॊटदय फनकय तैमाय होगा जो आसभान की ओय 700 प


ि दौड़कय 17

भॊष्ट्जर की फयाफयी कयेगा

मे भॊटदय की उप्ऩय हवा भें फढ़ने की येस कभ इॊसानी सोि की धयातर से हि हवा भें फहने की अॊधी दौड़ का श


रुवाती

झोका है |

11 - 01 - 2018 - आचथकत , साभाष्ट्जक, प्रगनत भें पस जाने व जो है उसके स्तय से चगय जाने के फाद नही ॊ


ऩहरे फताता है आऩका वैऻाननक-ववश्रेषण

खफय- फड़ी-फड़ी भ


नतमत ा फनान े की रागत अयफो एवॊ खयफो भें ऩह


ॊिने से याज्मों भें अस्ऩतार जैसे जरुयी काभ

रुके

ववकास एवॊ प्रगनत के लरए एक कदभ बी आगे फढ़ाने से ऩहरे उठामे जाने वारे कदभो का ऩहरे ही ऩ


वातन


भान कयके

पामदे व न


कसान का आकरन कयना ऩड़ता है | इसके लरए द


यगाभी सोि व हय ऩहर


को क्रॉस कयने की ऺभता

िाटहए |

देश भें सयदाय फरल्ब बाई ऩिेर के रूऩ भें द


ननमा की सफसे फड़ी भ


नत त फनाने की श


रुवात के सभम सबी जगह वाह-

वाह हो यही थी, इसके सभथनत भें फड़े-फड़ े कसीदे ऩढ़े जा यहे थे रम्फे-रम्फे रेख लरखे जा यहे थे ऩयन्त


आऩके

वैऻाननक-ववश्रेषण ने आभ सोि के फहाव की टदशा के ववऩयीत जाकय सि साभने यख टदमा था | सि फताना हभेशा

वततभान प्रशासन के ववऩयीत ज्मादा होता है क्मोकक वो उसकी तम सोि को बी ि


नौती दे सकता है |
Free download pdf