biranishri
(Biranishri)
#1
आगे फढ़ा यहा है |
एक ववधामक (राखो का प्रनतननचध) ने ववधानसबा भें भ
ु
द्दा उठामा ऩय सयकाय ने क
ु
छ ककमा नहीॊ व बगवान फनाने का
यास्ता साप कय टदमा | एक सयकायी कभतिायी जो इॊजीननमय हो उससे बी जमादा ऩैसा व एैश आयाभ की ष्ट्जॊदगी
बगवान व सॊत कहराने भें लभरे ऐसी व्मवस्था हो तो रोग बगवान ही तो फनेगे शैतान तो नहीॊ | मटद एक लभनि भें
एक इन्शान भये उसे फिाओ तो क
ु
छ नहीॊ होता मटद एक को भाय डारो तो ऩ
ू
यी जीवनी व फड़े फड़े पोिो कयोडो की
सॊख्मा भें छऩते है व ववशेष प्रोग्राभो का प्रसायण घॊिो तक होता है जहा िन्द सेकड़ो की कीभत राखो भें होती है तो
रोग ककस यस्ते ऩय जामे | इन्शान की औसत आम
ु
40 वषत के कयीफ हो व अदारतों के ननणतम इससे बी अचधक वषो
तक नहीॊ आमे तो रोग बगवान फनकय इस जीवन को सपर कयने की फजामे अच्छे ऩ
ु
नजतन्भ के इन्तजाय भें हय जगह
रम्फी रम्फी कतायो भें धक्का खाते यहेंगे | जहा प्रत्मेक अऩयाध के फाद दान, फलर, प्राथतना, ऩ
ू
जा ऩाठ, िढ़ावे व न जान े
कौन कौन से उऩाम धभो की िादय के तरे भौज
ू
द हो मा उसकी छामा के रूऩ भें प्रसारयत हो वह इन्शान बगवान न
फने तो क्मा फनेगा |
ऩाटितमो वारी सयकाय मटद िॊदो व बाई बतीजावाद के लरए ननणतमों को प्रबाववत कय दे तो बगवान फनकय थोड़ा ि
ु
कड़ा
बेकने भें कोशा अनथ त हो जाता है | भ्रस्िािाय ऩय िरने वारी व्मवस्था भें ऩैसा फाफाओ के जरयमे आ जाने का भाग त
फनामा जाता है तो ऐसे धॊधे भें आदभी न उतये तो क्मा कये |
भ्ररि व्मवस्था भें सफको उप्ऩय के ऩैसे िाटहए वो बी ऩेंशन की तयह हय भाह एक ननष्ट्श्ित तायीख को तो ईभानदाय व
कान
ू
न ऩारक इन्शान ककसको िाटहए उन्हें तो अऩयाधी, जेफ कतये, फाह
ु
फरी, फरात्कायी, रड़ाक
ू
इत्माटद इत्माटद रोग
िाटहए जो प्रत्मेक सप्ताह नमा नमा फवार कये व ननिे स ेउप्ऩय तक सबी को थोड़ा थोड़ा देकय जामे |
अचधकाॊश सयकायी काभ सभम ऩय होते नहीॊ है | इन्शान छोिे से काभ के लरए जामे तो ऑकपस छाऩ वारी टिकाऊ
िप्ऩर बी पि जाती है | ऐसे ननयाश औय ईभानदायी के लसद्ाॊत ऩय िरे वारे चगने ि
ु
ने ष्ट्जद्दी रोगो को आत्भहत्मा
कयने से फिाने के लरए इन फाफाओ की जरुयत हभायी व्मवस्था भें सफस े ज्मादा सयकायों को ही तो है | मे रोग महा ॉ
बगवान के नाभ ऩय दाता के नाभ ऩय ऩैयो भें ऩड़ ऩड़कय ऩैसा बी देते है औय थोक के बाव वोि बी |
सयकाय ववऻाऩन ऩय अऩनी येि के टहसाफ से ऩैसा देती है | कॊऩननमा िी. आय ऩी देखकय क
ु
छ सेकड़ो का ऩैसा देती है
मे फाफा आधे आधे घॊिे के प्रोग्राभ मा ववऻाऩन का ऩैसा देते है तो भीडडमा भें इन्हे भहान फताने भें क्मा जाता है |
ष्ट्जतनी इज्जत देंगे व फड़े से फड़ा फनामेगे तबी तो फाद भें ककसी भ
ु
द्दे ऩय ईज्जत वाऩस रे सकेंगे व उस गरयभा के
अन
ु
साय ही तो ऩैसा लभरेगा अथाततत ऩािो अॊग
ु
लरमा घी भें!
कई भॊिी, ववधामक, साॊसद फनन े के फाद याजनेता लभरते ही नहीॊ है जो वादा कयके वोि रे जाते है वो कयते नही ॊ
लभरने जाओ तो ऩ
ु
लरस के डाॉडो व आश
ु
गैस का स्वाद िखते है तो रोग फाफा व बगवान न फने तो क्मा कये | जहा
मे रोग ि
ु
नाव से ऩहरे व फाद भें आगे होकय लभरने का सभम भाॊगकय दशनत देने स्वमॊ िरे आते है | ववयोध दज त
कयने की सयकायी भान्मता प्राप्त जगह जॊतय भॊतय ऩय अनशन व ब
ू
ख हड़तार कयके फाफाओ जैसे टदखने से अच्छा
इन्शान छऩन बोग खा ऩीकय फाफा व बगवान न फने तो क्मा कये जहा रोग झ
ु
ॊडों भें स
ु
नने के लरए योज यष्ट्जस्िेशन
कया के आते है |
अचधकतय सयकाये काभ कयती नहीॊ ऩमातप्त नौकयी देती नहीॊ व सस्ते 1 - 2 रुऩमे ककरो वारे अनाज बी अऩनी ऩािी के