biranishri
(Biranishri)
#1
ऩय अश्रीर हयकतों ऩय रगाभ व ननरठा एवॊ भमातदा भें यहकय फच्िों को दी जाने वारी लशऺा को ताक भें यखने जैसा
हो गमा |
ककसानों ने भ
ू
ि ऩीमा व भर खाने वारे ही थे मह देखकय सभझ नही ऩाना की 21 वी सदी भें भानव जानत जानवयो,
कीड़ो-भकोड़ो से बी ननिे चगय यही है उस ऩय कोई कामतवाही नहीॊ ..... वाकई आऩको 56 इॊि की छाती की कठोयता का
रोहा भानना ऩडेगा |
िायो तयप भॊिारमों की छतो ऩय रहयाते बायतीम झण्डो की छाव भें इस तयह सॊवैधाननक तौय ऩय देश के भालरकों के
ऐसे ववयभभम दृश्म भें हभें तो सबी याजनैनतक दरों की लभरी बगत नजय आती है |ककसानो की ऋण भाफ़ कयने की
भाॊग जामज हो मा नाजामज रेककन उसको सभझा के हर कयने का तयीका होता जरूय है व याजनेताओ के लरए मह तो
ि
ु
िकी फजाने ष्ट्जतना सा काभ है |
ि
ु
नाव के फाद क
ु
सी को रऩकने एवॊ झऩिने के लरए अरग-अरग वविायधाया वारे दर, एक-द
ू
सये को कोसन ेवारे दर व
आऩस भें भायने-ऩीिने, गारी-गरोि व सय पोड़ते कामतकतात कैसे एक होकय सयकाय फना रेते है मह आऩ रोग आमे
योज देख यहे है| रोगो, ककसानो के भ
ु
ॉह भें इस तयह की भ
ु
फ्त वारी सयकायी छ
ू
ि की यस ि
ू
सी चिवॊगभ इन्होन ेही तो
ठ
ु
सी है |
इस घिना के फाद अफ वोि भाॊग-भाॊग कय "जनता के नौकय" फने इन याजनेताओ के अच्छे टदन जरूय रा टदमे है |
लभडडमा के दभ ऩय इन्होने देश के कोने-कोने भें हय इॊसान के टदभाग भें मह फात जरूय घ
ु
सा डारी की. .... धयना
देओ, प्रदशनत कयो, कऩडे उतायकय नॊगे घ
ू
भो, ऩेशाफ ऩीओ व भर बी खारो तफ बी "सयकाये" स
ु
नने वारी नहीॊ है |
ऩेशाफ ऩीना, भर खाना, ननवस्ि होने वारी ऐसी रक्ष्भण येखा खीॊि डारी गई की उस े ऩाय कयके औय आगे का सोिना
अच्छे से अच्छे ईन्सानो की आत्भाओ की हडीमा तक कऩ-कऩा देगा | आत्भहत्मा कय रेना, बफजरी के खम्बों ऩय िढ़
जाना मह बी कोई ववयोध-प्रदशतन है? देश को आजाद ह
ु
मे 70 वषत होने आमेकभ से कभ उसका तो खमार यख.... े हभन े
ककतना ववकास कय लरमा वो बी तो झरकना िाटहए |
दलरतों, ककसानो के घय जाकय योिी खाने वारो को कही इन्होने इनके जैसा खाना भर-भ
ू
ि णखरा टदमा व घय के
दयवाजे ऩय वोि भाॊगे आमे नेताओ को अऩनी जात, खान-ऩान, यहन-सहन, फोरिार जैसा प्रनतननचध ि
ु
नने के लरए भर-
भ
ू
ि णखराकय ऩयखना श
ु
रू कय टदमा की याजनेताओ का शयीय अॊदय से बी हभाये जैसा है की नही ॊजो इन सफको हजभ
कय जामे तफ क्मा होगा.....
मह हभाये सभझ से ऩये है क्मोकक ववऻान को मह सफ खाने के फाद अॅॉतो के ऩरयऺण कयने ऩय जो रयऩोित आती है
उसऩय ववश्रेषण कयता है | आऩ इस ेइनकी बाषा भें श्वेत-ऩि कहके भर-भ
ू
ि ऩय ऩदात डार सकते है | हभ तो वषो स े
उऩाम होते ह
ु
मे बी रोगो को प्रनत लभनि एक की दय से भायके राशो को सयकायी पाईर के ननिे दफ़न कयते देखा है |