biranishri
(Biranishri)
#1
है |
आजादी के फाद से महाॉ सफ क
ु
छ अधतशतक व शतक की तयह उप्ऩय जाते जा यहे है | साभान्म रोग फजि को नमा
िैक्स मा फढ़ती भहगाई का िेहया सभझ के उसे िी वी ऩय बी देखना ऩसॊद नही ॊकयने रगे हो | उप्ऩय की तयप सीधे
फड़े फड़े ग्राप भहॉगाई के हो, प्रॉऩिी की कीभत के हो, सधजी व क
ृ
वष उत्ऩाद के हो, ऩेिोलरमभ प्रदाथो के दाभ हो मा
सयकायी िैक्स ही क्मों ना हो | इसभे सफ क
ु
छ उप्ऩय जा यहा है | ग्रीस के टदवालरमे होने ऩय मह तो स्ऩरि हो जामेगा
की आचथतक तोय ऩय औय ज्मादा कपय औय ज्मादा ऩय साये आॊकड़े तम कयने ऩय ऩरयणाभ क्मा होता है |
ग्रीस मटद टदवालरमा घोवषत हो बी जाता है तो उसके आगे ऩरयणाभ क्मा ननकरेगे वो ज्मादा योिक व एक ऐसा वैष्ट्श्वक
िैंड फना देंगे जहॉ टदवालरमा होना एक गौयव व स
ु
खी सम्ऩन औय सायी बौनतक स
ु
ववधा का आनद उठाने का भाध्मभ
फन जामेगा | कामत व जीवन शैरी भें आवशमकता के अन
ु
रूऩ सॊसाधन खयीदने से ज्मादा सॊसाधन खयीद के काभ ढ
ू
ढ़ने
के जो उल्िी यीत िर यही है उसके तहत जीवन भ
ू
ल्म के ननिरे स्तय ऩय ऩह
ु
ॊि ि
ु
के इॊडेक्स ऩय इसका कोई पकत नही ॊ
ऩड़ेगा की देश व इज्जत का क्मा होगा | इसके साथ देश की िार के अन
ु
रूऩ रोग बी रोन रे रेकय जीवन जीने के
आटद हो गए है वो बी इस यह ऩय िरेंगे | आणऽयकाय उन्हें याभफाण उऩाम जो भीर गमा है |
सत्माऩन वतभत ान भें श्ीरॊका की हारत...... औय खफय बववरम के बायत की तस्वीय साफ़ होने रगी
त्मौहाय आस्था का ववषम हैं औय वे ककसी बी धभत व सम्प्रदाम के हो सकते हैं । अफ द
ू
यसॊिाय व नमे सॊस्थानों के
कायण द
ु
ननमा छोिी व लसलभत रगने रगी हैं । इन कायणों से हभें त्मौहायों को अफ द
ू
सये कायणों, ऩरयष्ट्स्थनतमों के रूऩ
भें देखने व सभझने की जरूयत हैं । भैं रेखक जैन धभत व इसके सभानान्तय टहन्द
ू
धभत से आता ह
ू
ॊ इसलरए इसके फड़ े
त्मौहाय टदऩावरी को एक आधाय फनामा हैं । इसी तयह सबी धभों के त्मोंहायों के ववश्रेषण की जरुयत हैं ।
साइॊटिकपक-एनालरलसस ...... ... - -
टदऩावरी की हाटदषक श
ु
बकाभनामे!
आभ, खास, वीआईऩी, ष्ट्जम्भेदाय, शासकीम रोगो की तयह हभ आऩको लसपत मह ग
ु
ढ़ ऻान की याजा याभिन्र द्वाऩय
म
ु
ग भें वनवास के फाद वाऩस अमोध्मा रोिे इस ऽ
ु
शी भें मह त्मौहाय फनामा जाता है औय उस टदन आभ प्रजा को हष त
ऩ
ू
ण त अऩाय धन दौरत, जेवय फािे गए इस कायण रक्ष्भी (धन दौरत की देवी) के घय आन े का आदशत श्ी याभ की
धभतऩत्नी सीता के साथ ज
ु
ड़ गमा फताकय भाि हाटदतक फधाई नहीॊ देंगे अवऩत
ु
आऩको सच्िाई की कसोिी ऩय सही भाग त
बी फताएॉग ेताकक सार बय आऩ ख
ु
श व आनॊदभम यहे |
धभतग
ु
रुओ, फाफाओ, सॊतो, भहाग्रॊथों, धालभतक ऩ
ु
स्तको के अन
ु
साय फच्िो के टदर भें बगवान फस्ते है | वे याग रऩेि औय
द
ु
ननमादायी से अनलबऻ होते है इस कायण उनकी कोभर भ
ु
स्खान बगवान की भ
ु
स्खान का आबास कयाती है | स
ु
फह
उठने के साथ उन्हें योने से ि
ु
ऩ कया भ
ु
स्कयाने के लरए द
ु
ध की फोतर, छोिे णखरोने, ननप्ऩर, नेऩी, दाॊत ख
ु
जाने की
िाफी, झ
ु
नझ
ु
ना आटद साभान की जरुयत होती है औय मह सबी अचधकाॊश तोय ऩय िीन से ही आते है | महाॉ तक की
स
ु
फह स
ु
फह बगवानो के ऩ
ू
जा ऩाठ, आयती के सभम भें उनकी पोि
ु
, तस्वीय, भ
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तत, राइिभम फ्रेलभगॊ , इि, न भ
ु
यझान े