यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
- नमे अथत स


नन े को लभरेंगे वततभान भें तो मह गधफय की जगह डयाने का काभ कय यहा है जो ग्राहक की जेफ स े

ज्मादा ऩैसा ननकराने का स


ख दे यहा है जफकक रेने वारा ख


द अगरी िौखि ऩय ग्राहक फनता है |

हभन े 04 - 11 - 2016 को ऩोस्ि कयी टिप्ऩणी भें ही खाद्मान की श्ेणी 0 पीसदी कय का सि उजागय कय टदमा था |

"तकननकी तौय ऩय देखा जामे तो िैक्स स्रैफ 4 नहीॊ 5 ह


मे, कॊप्म


िय आधारयत प्रणारी भें "िैक्सयटहत" कोई ऑप्शन

नहीॊ होता इसलरए 0 (श


न्म) को एक िैक्स स्रैफ भाना गमा है | बववरम भें सायी गणणत व सॉफ्िवेमय 5 के आधाय ऩय

ही फनेगे | मटद बाषा के आधाय ऩय गरती कयी व पैसरे को रोग र


बावन फनाने के लरए "िैक्स फ्री" का ज


भरा

इस्तेभार ककमा गमा तो .......... इसकी फड़ी बायी कीभत ि


कानी ऩड़ेगी | इससे भौसभ

के आधाय ऩय वस्त


ओॊ की कीभत िैक्स से कॊिोर कयने का एक फह


त फड़ा भागत सदैव के लरए फॊद हो

जामेगा | मटद जानकायों ने कोलशश कयी तो याजनेता रोग ही सड़क ऩय कोहयाभ भिा देगें औय ऩ


यी फाज़ाय प्रणारी को

तहस-नहस कय देंगे |"

हभ ऩेिोर डीजर, आमर, शयाफ व ब


लभकय को GST वारी एक यारि - एक िैक्स की बाषा वारी छतयी के ननि े

राने की फात नहीॊ कय यहे क्मोकक मह तो याज्मों का कारा-सोना है औय छाऩे औय भार की जप्तीतो देश के नाभ ऩय

लसपत जनता के सोने ऩय ही ऩड़ते है |



ध का जरा ईन्सान बी छाछ को प


क भायके ऩीता है ऩयन्त


मह तो सयकाय है धालभतक, साॊस्क


नतक एवॊ साभाष्ट्जक

ऩहर


योड ऩय लसपत अऩनी-अऩनी ऩोवषत याजनैनतक ऩािी की नायेफाजी के लरए है असरी भें मह सबी फेगाने है |

नोिफ

ॅं

धी के सभम नमे नोि छाऩ टदमे ऩय फैंको की ATM भशीनों के अदॊ य उसकी स्िोय प्रेिो की साईज का ध्मान नही ॊ

यखा व रोगो को कतायों भें रगा कटहमो को मभरोक ऩॊह


िा टदमा | अफ बी मही ह


आ GST राग


कय टदमा रेककन

ककसी बी सॉफ्िवेमय कॊऩनी के ऩास ऩ


याने को अऩडेि कयनेवारा सॉफ्िवेमय नहीॊ है | सयकायी प्रकक्रमा की ऑनराइन

अऩडेटिॊग बी ऩ


यी नहीॊ ह


ई | िामर तो ष्ट्जन्दा इॊसानो ऩय होता है महाॉ तो ईन्सानो की जेफो से ऩैसा ननकारने का

भाभरा है |

एक देश व एक िैक्स के भाध्मभ से ऩ


ये यारि को जोड़ना अच्छी फाॉि है ऩयन्त


मह लसपत आऩ आदभी से लसपत औय

लसपत िैक्स रेने के अनतरयक्त रेने वारो भें बी नजय आना िाटहमे |

सयकायी अथतशाष्ट्स्िमों को हभ मही कहेगे की GST भें िैक्स को 28% से फढाकय 60% कय देना िाटहए ताकक देश की

जीडीऩी द




नी हो जामे व देश द


ननमा भें सफसे फड़ा फन जामे | गयीफी, फेयोजगायी, जनता का भानलसक अवसाद,



खभयी, जीवनस्तय मह कोई आधाय थोड़ी है ष्ट्जसके तहत देश का ववकास घिता व फढ़ता है वह तो लसपत नमे - नमे

लसक्को की खनखनाहि से िभकता है |

सत्माऩन खफय:- GST कॉउॊसलरगॊ की भीटिॊग - 177 िीजों ऩय काभ ह


आ िैक्स

GST भें वस्त


ओ ऩय जैसे-जैसे िैक्स घि यहे है....वैसे-वैसे आऩके वैऻाननक-ववश्रेषण का स्तय ऊऩय उठता जा

यहा है |

आऩकी गाढ़ी ख


न-ऩसीन े की कभाई से िैक्स वस


र फड़े-फड़ े भहायचथमों को गाडी,फॊगरा व भोिी-भोिी तनख्वाह के साथ

काज


- फादाभों का नास्ता कयवा वी आई ऩी स


ववधाओॊ के स


ख के साथ ष्ट्जन्हे ऩालरसी फनात े सभम आगे बववरम का
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