यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1

नव वष ष की श



बकाभनाएॊ


ईंसानी रकीयों से फना सभम के 2017 वा वषनत


भे टहस्से की श


रुवात फना "HAPPY NEW YEAR"

ऽफय:- सैकड़ों नववषों के टदनो भें म


योवऩमन इनतहास ऩय आधारयत करैण्डय के 2017 वे वषत ऩय फन यहा है जीवन ष्ट्जने

का हषोउल्राहस

21 वीॊ सदी के सभम ऩटहमे से इॊियनेि की यफ्ताय द्वाया जानत, वगत, सम्प्रदाम, धभत, ऺेिवाद, ब


- बाग, भॊटदय, भष्ट्ज्जद,

िि, त ग


रुद्वाये, स्थानक, फौद्भठों, धभतशाराओॊ, रोगो के सभ


ह से फने बवनों के साभाष्ट्जक, व्मवसाटहक व याजनैनतक

केंरों औय व्मवस्था के ननमभन हेत


सता के साभ


टहक केंरों, भॊिारमों, व ववबागों के फड़े-फड़े बवनों के भागत से शेऺणणक,

कामतऺेिीम व कल्ऩनाओ को जीवन भ


त त दते े कागजों व इरेक्िॉननक उत्ऩादों की ध


नों से आगे फढ़ते यहने ऩय वऩछर े

ईनतहास के आधाय ऩय नई उभॊग, प्रेयणा व वऩछ्रे ऩरों के अच्छे-फ


ये अन


बवों से ख


शी, द


्ख औय हषोउल्राहस फनान ेके

ढेयों टदवस आते है |

इन टदनों को याजनैनतक, धालभतक, कानमतक, कक्रमाशीरता, प्रफॊधन व आगे फढ़ते की रूऩयेखा से अरग-अरग नाभों स े

सॊफोचधत ककमा जाता है | इसभे से "नववषत" बी एक प्रभ


ख टदन है |

मटद तायों के झारो से इॊियनेि के नाभ से फॊधे नरोफरन


भा द


ननमा के सित ईंजन भें जाकय देखे तो आऩ ऩामेगे की

नववषो की बयभाय है, जो अरग-अरग गणना के अन




र सभ्मता, सॊस्क


नत, बौगोलरक ऻान व ननजी औय साभाष्ट्जक

घिना ऩय आधारयत है |

वततभान के सभम भें म


योवऩमन ईनतहास ऩय आधारयत करैण्डय के अन


रूऩ ज्मादातय रोग 1 जनवयी को नमा वषत फनात े

है | इसकी साथकत ता याजशाही के नाभ ऩय नाभकयण व म


द्ों के भाध्मभ से स्वाथत, रारि व सफको अऩने अधीन कयन े

की भानलसकता के आधाय ऩय ऩ


यी द


ननमा भें पैराव से फनी है |

हय जीववत (ऩौधा, जानवय, ईंसान) प्राणी जो भयता हैं मा खत्भ होता हैं वो इनतहास जरूय फनाता हैं ऩयन्त


ष्ट्जसको माद यखने से आने

वारे सभम भें जीववत सबी जीव-जॊत


ओॊ औय रोगों को जीवन माऩन भें स


ववधा हो व स्वणणतभ इनतहास कहराता हैं ।

इस अवसय ऩय सबी रोग एक-द


सये को फधाई देते है ताकक आने वारा बववरम का सभम उनके लरए स


खद व कीनतभत म

यहे | हभ आज बी वही श


बकाभनामे देगें जो हभेशा से देते आमे है | सभम की गनतशीरता के साथ ववऻान के िऺु से

ऩयख के ननकरा सि कबी फदरता नहीॊ है |

नव वषत की श


बकाभनाएॊ ........2014,15,16,20,30,60,90,100...

बववरम हभेशा ही फह


त स


न्दय होता हैं रेककन उसके लरए वततभान भें कभत कयने ऩडते हैं, ब


तकार लसपत सदैव एक आधाय प्रदान

कयता हैं ताकक उसका ववश्रेषण कय ववकास व काभमाफी की ऩिकथा लरख सके |
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