यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
यारिऩनत भहोदम ने इस ऩय कई सावतजननक टिप्ऩणणमाॉ कयी ...... हभें मे कयना िाटहए....... वो कयना िाटहए..... हद हो

गई आऩ तो जनता को मे फताने रग गमे की आऩ को तो भार


भ ही नहीॊ की आऩ "यारिऩनत" है.... इसलरए आऩ मे

नहीॊ फोरेगे की इसे खत्भ कयने के लरए आऩने क्मा ककमा औय आगे क्मा कय यहे है? जो कयना है वो "सयकाय" ही

कयेगी यारिऩनत तो लसपत उसकी सराह ऩय ही िरेगा तो इसे 21 वी सदी के ववऻान म


ग भें तकननकी तौय ऩय साभाष्ट्जक

इॊजननमरयॊग भें " भन व टदभाग की ग


राभी वारी भानलसकता" कहते है | सॊववधान के आधाय ऩय यारिऩनत भहोदम क्मा

कय सकते थे उसके िन्द उदहायण देणखम........े

सफसे ऩहरे ष्ट्जन्होंने अवाडत रोिामे उन्हें डाक नहीॊ हाथ भें रेना िाटहए था औय साथ भें प्रनतयात्भक रूऩ भें "उल्िा

बायत का नतयॊगा" बी ताकक देने वारे, देखने वारे, टदखाने वारे, अऩनी प्रनतकक्रमाओ से ऻान फयसाने वारे, ष्ट्जम्भेदाय

ऩदो ऩय आसीन व आभ जनता को बी आबास हो मह भहज कागज व धात


के ि


कड़े नहीॊ एक स्वतन्ि यारि का गौयव

बी है | ष्ट्जन सम्भानीम रोगो ने बफना कायण फतामे अवाडत रौिामे उन्हें द


फाया बेज कायण साथ भें राकय देने को

कहना िाटहए था |

इसके फाद "प्रधानभॊिी" को फ


रा इस ऩय कैबफनेि की भीटिॊग फ


रा लरणखत भें स्ऩस्िीकयण ननष्ट्श्ित सभमावचध भें भाॊग

रेते | उच्ितभ न्मामरम के भ


ख्म न्मामाधीश से सॊववधान के आधाय ऩय अवाडत रौिने के का यणों ऩय न्मानमक याम

भाॊग रेते व भीडडमा के भाध्मभ से जनता को वस्त


ष्ट्स्थनत के साथ सभम के अन


रूऩ जोड़े यखते व सि को सयकाय के

अनतरयक्त्त अन्म रूऩ से बी ऩयखते |

सयकाय के भाध्मभ से वववाटदत घिनाओ ऩय कान


न कामतवाही की रयऩोित व न्माम कयने का सि इन घिनाओ का

प्रनतशत देश भें होने वारी सभरूऩ क


र घिनो का त


रनात्भक आकड़ा यख अऩने दानमत्व का ववश्वाश टदरा ऩ


न् वविाय

के लरए सबी अवाड तरौिा देते |

मटद इनके कायणों भें सच्िाई टदखती तो सयकाय को सवेधाननक तौय ऩय ननष्ट्श्ित सभमावचध भें भ


ख्म न्मामाधीश के

ननयऺण भें कामतवाही कय सॊवव धान की भ


र बावनाओ को फनामे यखने का कहते | इसके फाद बी वस्त


ष्ट्स्थनत ऩय

भीडडमा के भाध्मभ से जनता की याम अन


चित आती तो सयकाय को एक ननष्ट्श्ित सभम दे उसे फखातस्त कय देने की

िेतावनी दे सकते थे |

मटद ककसी ने झ


ठ , गरत, साष्ट्जश, फहकावे भें अवाडत रौिामे है तो उन्हें को ई सजा नहीॊ देनी िाटहए व देश भें

सम्भानऩ


वतक ऩहरे के बाती ही यहने का सावतजननक यारिीम ऩि घय बेजना िाटहए क्म


की ऐसे भागत बी फन्द होने रगे

तो कपय भाय-काि, ख


न-खयाफा, रड़ाई-झगड़े व ग


ह-म


द् व अऩने वववेक से ननणतम रे रोगो की हत्मा कयने के अरावा

कोई भागत नहीॊ फिेगा | ष्ट्जस ब


लभ भें ऩैदा ह


मे, उसके लरए कभत कय जनता के टदर भें जगह फना अवाडत प्राप्त ककमा

उस यारि को उसका झण्डा उरिा कय रौिाना ककसी कठोयतभ सजा से कभ नहीॊ है |

अवाडत रौिने के कायण सही होने ऩय ऩ


न् यारिीम गौयव व सॊवैधाननक प्रभाण-ऩि के साथ ऩ


न् अवाडत उनके घय जाकय

स्वमॊ यारिऩनत भहोदम रौिाते ......... ऐसे ववयरे इस ब


लभ ऩय कभ ही जन्भ रेते है जो "यारि-बष्ट्क्त" के आगे ऩ


यी



ननमा/कामनात से रौहा रे रेते है........

अबी बी वक़्त है........... देश बक्तो के रह


से सीिी सभम की भािी को भ


ट्ठी से न कपसरने दे.....
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