स्वर्णिम दर्पण

(Kumar dhananjay suman) #1

7985752901


नयागांव सीतापुर उर देश

नीरज शमाǢ


वीर ने ाण गंवाए तब आजादी है पाई।

भारत क शौय कहानी इस दुनया ने है गाई,
वीर ने ाण गंवाए तब आजादी है पाई।

आजाद भगत सह जैसे लाख का मन जब डोला,
ले आन बान भारत क रंग लया बसंती चोला।
आजाद वीर के सुख गोरी सेना घबराई,
वीर ने ाण गंवाए तब आजादी है पाई।

साहस देखा भारत का गोरे मन म घबराए,
बल सुभाष के वह ादा टक नह पाए।
उनक पल से जमकर जब लाठी है टकराई,
वीर ने ाण गंवाए तब आजादी है पाई।

कतन ने ाण गंवाए कतन ने संकट झेले,
हम सबक खातर अपने जीवन क होली खेले।
तब सपन क आजादी साकार प है लाई,
वीर ने ाण गंवाए तब आजादी है पाई।

आजाद ए हम तो फर अभ कए आजादी,
तन मन से डर जब नकला घर मे ही आग लगा दी।
देखा जब कृ हमारा भारत मा है घबराई।
वीर ने ाण गंवाए तब आजादी है पाई।

नज ाथ पूत के कारण हम देश लूटते ह अब,
भारत माता के सपने हर रोज टूटते ह अब।
बेशम ए हम इतने ला भी है शरमाई,
वीर ाण गंवाए तब आजादी है पाई।

नेता षं रचाते ह रोज कराते दंगा,
मयादा भूल गए हम घायल हो रहा तरंगा।
फर से ारे भारत पर घनघोर नशा है छाई,

आजादी


पृ संया 13

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