स्वर्णिम दर्पण

(Kumar dhananjay suman) #1
बड़ा तालाब, मर माग,
रेवाड़ी (हरयाणा)

योगेश कौΥशक


कतनी खूबसूरत है यह सपन-सी दुनया।
हंसना सदा तुम कहती है कल-कल करती नदया।।
कभी न करना कड़वा यह मन।
मुल से मलता है मानव तन।
मले कांटे ल क मंजल म तो भी -
लड़ना डटकर, सफल बनाना तुम अपना जीवन।
क यह जगी तो है एक दरया।
हंसना सदा तुम कहती है कल-कल करती नदया।।
तोड़े चाहे कोई तुमसे कये वादे।
रखना तुम अपने पे इरादे।
इां वही रखे ऐसी हत -
पहाड़ को भी जो हला दे।
क यह चंचल मन तो है बेहद छलया।
हंसना सदा तुम कहती है कल-कल करती नदया।।
जीवन मला तो इसे साथक बनाना।
कटु अनुभव से ना तुम घबराना।
काम अनोखा जीवन म करके -
अपना अलग इतहास लख जाना।
क ना जाने कब बरस जाए यह बदरया।
हंसना सदा तुम कहती है कल-कल करती नदया।।

हं सना सदा तुम

Free download pdf