~राजेश कु मार नंदलाल जी
लेडी़ सब- इंसपे र सु म ा ने पु लस क म र को सै ूट कयाऔर कहा-सर आपने मुझे बुलाया था।हाँ हाँ सु म ा
बैठो। पु लस क म र ने कहा-सु म ा तुम तो जानती ही हो क तु ारे प त हरीश र ोगी, ाईम ूज एज सी के जाँबाज
ाईम रपोट र ह ,उनके ही जानकारी के आधार पर ाईम ाँच के इंसपे र देशमुख को " ाईम आल आऊट मशन"पर
लगाया गया था।वह अंड़रवल ड के मु खया नकाबपोशधारी म र बॉ ड़ के गरहबान तक प ँच पाते उनका मड र हो
गया।तुमको ाईम ाँच के इंसपे र पद पर मोट कया जाता है और ाईम आल आऊट मशन तु ारे सुपुद कया
जाता है और हरीश को हमेशा अपने साथ ही रखना।लेडी़ इंसपे र सु म ा ने सै ूट कया और हवा के झ के क भाँ त
कमरे से बाहर नकल गयी।घर आकर सु म ा ने अपने प त हरीश से गहन चचा कर तह ककात करने म जुट गयी।
आज हरीश अ दन क अपे ा ज ी ही उठ गये और सबके लए बेड़ टी बना ली।चाय पीते ए ा ने पुछा-
पापा आपने यह बेड़ टी कस खुशी म बनाई।हरीश ने मु राते ए बेटी के दोन गाल को थपथपाते ए कहा-आज
हमारी बेटी का रज आने वाला है और दूसरी खुशी-म ,अब ाईम ाँच इंसपे र सु म ा र ोगी का प त ँ यह कहते
ए सु म ा को अपनी बाँह म भर लया।
महेश और ा,दोन अ ल दज म पास ए। ा वकालत के पढा़ई क तैयारी म लग गयी और महेश,वा लया
हॉटे का कामकाज देखने लगा।घर म ा दाल म छ क लगा रही थी तभी उसे ऊबकाई आई।यह देखकर सु म ा
घबरा गयी।लेडी़ डॉ र ने चेक- अप कर कहा-आपक बेटी माँ बनने वाली है।सु म ा के पुछने पर, ा ने सबकु छ
सही सही बता दया।
वा लया म शन प ँचने पर उसे एक भ म हला मली।उसने कहा-बेटी,म महेश क माँ गाय ी ँ।तब ा ने
उनके चरण श कए। ा ने कहा-माँजी,मुझे महेश से अभी मलना है।उ ोन उसे उसके कमरे तक प ँचा दया।
उसक घबराहट देखकर गाय ी क आँख म संदेह के बादल तैरने लगे।वह खड़क के पास खडी़ होकर अंदर क ओर
देखने लग । ा ने कहा-महेश,म तु ारे ब े क माँ बनने वाली ँ हम शी ही ववाह कर लेना चा हए। ववाह और
तुमसे,तु ारी औकात ही ा है?आज मेरा तशोध पुरा आ।यह कहते ए महेश अ हास लगाने लगा और आ फस
के लए नकल पडा़।गाय ी देवी ने कहा-बेटी तू च ता मत कर।तू ही मेरी ब बनेगी।
वा लया हॉटे पाँच मँ झला खुबसूरत इमारत थी।पाँचवी मँ झल का उपयोग सफ दनेश वा लया ही करते
थे।उनक इजाजत के बगैर कोई भी नही जा सकता था।महेश,अपने पता के कमर म गया वहाँ उसके पता नही थे।वह
मुड़कर जाने ही वाला था क उसक नजर एक लाल रंग क डा़यरी पर पडी़।उ ुकता वश उसने वह डा़यरी उठा ली और
अपने कमर म ले आया व उसे पढ़ने लगा।पुरी डा़यरी पढ़ने के बाद वह फु ट फु ट कर रोने लगा।
महेश अपनी माँ गाय ी देवी के पास गया और सब बात बताई।गाय ी माँ ने कहा-बेटा,तेरे पता एक ु ल
मा र और नानाजी पंडीत थे।जब तू एक वष का था तब तेरे पताजी का नधन होगया था।उसके बाद वा लया वंश
चलाने हेतू मुझ अभा गन वधवा से ववाह कया। म र दनेश वा लया एक क र है।यह बात उ ोन ववाह के व ही
बता दी थी।रा के लगभग दो बजे ा के घर का दरवाजा खटखटाया गया।जब हरीश ने दरवाजा खोला तो उ ोन
महेश और उसक माँ गाय ी देवी को खडे़ पाया।वह डा़यरी पढ़कर सभी बात हो गयी।
दुसरे दन एक रण नती के तहत शाम सात बजे सेवन ार वा लया हॉटे पर छापा मारा गया जसके अंतग त
करोडो़ के अवैध ह थयार और बरामद कये व सैकड अपरा धय को गर ार कया गया। स द उ ोगप त
दनेश वा लया और अपरा धक दु नया के स ाट म र बॉ ड़ एक ही श स के दो नाम थे।
महेश ने अपने पता क संपूण काली कमाई सरकारी खजाने म जमा कर दी।शुभ मु त म महेश और ा का
ववाह संप आ और दोन ार क दु नया म खो गये।