आशा झा सखी
। इसी बात को याद रखते ए रमेश जी मालती से बोले- देखो मालती, म ने आज भी तु ारी ही इ ा का
मान रखा है। म चाहता तो तुमको अपने पास महसूस करने के लए ये साड़ी अपने पास रख सकता था।
पर तु ारा इस साड़ी से लगाव देखकर म ने सोचा लया तुम इसी साड़ी म इस घर से वदा हो जसे पहनकर
तुम इस घर म , मेरे जीवन म वेश क थ । बस इस बात का ान रखना क अपनी अनंत क या ा म
मुझे मत बसरा देना। अपने कम का फल भोग कर म भी आ रहा ँ कु छ दन बाद तु ारे पास। ये बोलते