यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
आगे फढ़ा यहा है |

एक ववधामक (राखो का प्रनतननचध) ने ववधानसबा भें भ


द्दा उठामा ऩय सयकाय ने क


छ ककमा नहीॊ व बगवान फनाने का

यास्ता साप कय टदमा | एक सयकायी कभतिायी जो इॊजीननमय हो उससे बी जमादा ऩैसा व एैश आयाभ की ष्ट्जॊदगी

बगवान व सॊत कहराने भें लभरे ऐसी व्मवस्था हो तो रोग बगवान ही तो फनेगे शैतान तो नहीॊ | मटद एक लभनि भें

एक इन्शान भये उसे फिाओ तो क


छ नहीॊ होता मटद एक को भाय डारो तो ऩ


यी जीवनी व फड़े फड़े पोिो कयोडो की

सॊख्मा भें छऩते है व ववशेष प्रोग्राभो का प्रसायण घॊिो तक होता है जहा िन्द सेकड़ो की कीभत राखो भें होती है तो

रोग ककस यस्ते ऩय जामे | इन्शान की औसत आम


40 वषत के कयीफ हो व अदारतों के ननणतम इससे बी अचधक वषो

तक नहीॊ आमे तो रोग बगवान फनकय इस जीवन को सपर कयने की फजामे अच्छे ऩ


नजतन्भ के इन्तजाय भें हय जगह

रम्फी रम्फी कतायो भें धक्का खाते यहेंगे | जहा प्रत्मेक अऩयाध के फाद दान, फलर, प्राथतना, ऩ


जा ऩाठ, िढ़ावे व न जान े

कौन कौन से उऩाम धभो की िादय के तरे भौज


द हो मा उसकी छामा के रूऩ भें प्रसारयत हो वह इन्शान बगवान न

फने तो क्मा फनेगा |

ऩाटितमो वारी सयकाय मटद िॊदो व बाई बतीजावाद के लरए ननणतमों को प्रबाववत कय दे तो बगवान फनकय थोड़ा ि


कड़ा

बेकने भें कोशा अनथ त हो जाता है | भ्रस्िािाय ऩय िरने वारी व्मवस्था भें ऩैसा फाफाओ के जरयमे आ जाने का भाग त

फनामा जाता है तो ऐसे धॊधे भें आदभी न उतये तो क्मा कये |

भ्ररि व्मवस्था भें सफको उप्ऩय के ऩैसे िाटहए वो बी ऩेंशन की तयह हय भाह एक ननष्ट्श्ित तायीख को तो ईभानदाय व

कान


न ऩारक इन्शान ककसको िाटहए उन्हें तो अऩयाधी, जेफ कतये, फाह


फरी, फरात्कायी, रड़ाक


इत्माटद इत्माटद रोग

िाटहए जो प्रत्मेक सप्ताह नमा नमा फवार कये व ननिे स ेउप्ऩय तक सबी को थोड़ा थोड़ा देकय जामे |

अचधकाॊश सयकायी काभ सभम ऩय होते नहीॊ है | इन्शान छोिे से काभ के लरए जामे तो ऑकपस छाऩ वारी टिकाऊ

िप्ऩर बी पि जाती है | ऐसे ननयाश औय ईभानदायी के लसद्ाॊत ऩय िरे वारे चगने ि


ने ष्ट्जद्दी रोगो को आत्भहत्मा

कयने से फिाने के लरए इन फाफाओ की जरुयत हभायी व्मवस्था भें सफस े ज्मादा सयकायों को ही तो है | मे रोग महा ॉ

बगवान के नाभ ऩय दाता के नाभ ऩय ऩैयो भें ऩड़ ऩड़कय ऩैसा बी देते है औय थोक के बाव वोि बी |

सयकाय ववऻाऩन ऩय अऩनी येि के टहसाफ से ऩैसा देती है | कॊऩननमा िी. आय ऩी देखकय क


छ सेकड़ो का ऩैसा देती है

मे फाफा आधे आधे घॊिे के प्रोग्राभ मा ववऻाऩन का ऩैसा देते है तो भीडडमा भें इन्हे भहान फताने भें क्मा जाता है |

ष्ट्जतनी इज्जत देंगे व फड़े से फड़ा फनामेगे तबी तो फाद भें ककसी भ


द्दे ऩय ईज्जत वाऩस रे सकेंगे व उस गरयभा के

अन


साय ही तो ऩैसा लभरेगा अथाततत ऩािो अॊग


लरमा घी भें!

कई भॊिी, ववधामक, साॊसद फनन े के फाद याजनेता लभरते ही नहीॊ है जो वादा कयके वोि रे जाते है वो कयते नही ॊ

लभरने जाओ तो ऩ


लरस के डाॉडो व आश


गैस का स्वाद िखते है तो रोग फाफा व बगवान न फने तो क्मा कये | जहा

मे रोग ि


नाव से ऩहरे व फाद भें आगे होकय लभरने का सभम भाॊगकय दशनत देने स्वमॊ िरे आते है | ववयोध दज त

कयने की सयकायी भान्मता प्राप्त जगह जॊतय भॊतय ऩय अनशन व ब


ख हड़तार कयके फाफाओ जैसे टदखने से अच्छा

इन्शान छऩन बोग खा ऩीकय फाफा व बगवान न फने तो क्मा कये जहा रोग झ


ॊडों भें स


नने के लरए योज यष्ट्जस्िेशन

कया के आते है |

अचधकतय सयकाये काभ कयती नहीॊ ऩमातप्त नौकयी देती नहीॊ व सस्ते 1 - 2 रुऩमे ककरो वारे अनाज बी अऩनी ऩािी के
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