यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
है |

आजादी के फाद से महाॉ सफ क


छ अधतशतक व शतक की तयह उप्ऩय जाते जा यहे है | साभान्म रोग फजि को नमा

िैक्स मा फढ़ती भहगाई का िेहया सभझ के उसे िी वी ऩय बी देखना ऩसॊद नही ॊकयने रगे हो | उप्ऩय की तयप सीधे

फड़े फड़े ग्राप भहॉगाई के हो, प्रॉऩिी की कीभत के हो, सधजी व क


वष उत्ऩाद के हो, ऩेिोलरमभ प्रदाथो के दाभ हो मा

सयकायी िैक्स ही क्मों ना हो | इसभे सफ क


छ उप्ऩय जा यहा है | ग्रीस के टदवालरमे होने ऩय मह तो स्ऩरि हो जामेगा

की आचथतक तोय ऩय औय ज्मादा कपय औय ज्मादा ऩय साये आॊकड़े तम कयने ऩय ऩरयणाभ क्मा होता है |

ग्रीस मटद टदवालरमा घोवषत हो बी जाता है तो उसके आगे ऩरयणाभ क्मा ननकरेगे वो ज्मादा योिक व एक ऐसा वैष्ट्श्वक

िैंड फना देंगे जहॉ टदवालरमा होना एक गौयव व स


खी सम्ऩन औय सायी बौनतक स


ववधा का आनद उठाने का भाध्मभ

फन जामेगा | कामत व जीवन शैरी भें आवशमकता के अन


रूऩ सॊसाधन खयीदने से ज्मादा सॊसाधन खयीद के काभ ढ


ढ़ने

के जो उल्िी यीत िर यही है उसके तहत जीवन भ


ल्म के ननिरे स्तय ऩय ऩह


ॊि ि


के इॊडेक्स ऩय इसका कोई पकत नही ॊ

ऩड़ेगा की देश व इज्जत का क्मा होगा | इसके साथ देश की िार के अन


रूऩ रोग बी रोन रे रेकय जीवन जीने के

आटद हो गए है वो बी इस यह ऩय िरेंगे | आणऽयकाय उन्हें याभफाण उऩाम जो भीर गमा है |

सत्माऩन वतभत ान भें श्ीरॊका की हारत...... औय खफय बववरम के बायत की तस्वीय साफ़ होने रगी

त्मौहाय आस्था का ववषम हैं औय वे ककसी बी धभत व सम्प्रदाम के हो सकते हैं । अफ द


यसॊिाय व नमे सॊस्थानों के

कायण द


ननमा छोिी व लसलभत रगने रगी हैं । इन कायणों से हभें त्मौहायों को अफ द


सये कायणों, ऩरयष्ट्स्थनतमों के रूऩ

भें देखने व सभझने की जरूयत हैं । भैं रेखक जैन धभत व इसके सभानान्तय टहन्द


धभत से आता ह


ॊ इसलरए इसके फड़ े

त्मौहाय टदऩावरी को एक आधाय फनामा हैं । इसी तयह सबी धभों के त्मोंहायों के ववश्रेषण की जरुयत हैं ।

साइॊटिकपक-एनालरलसस ...... ... - -


टदऩावरी की हाटदषक श



बकाभनामे!


आभ, खास, वीआईऩी, ष्ट्जम्भेदाय, शासकीम रोगो की तयह हभ आऩको लसपत मह ग


ढ़ ऻान की याजा याभिन्र द्वाऩय



ग भें वनवास के फाद वाऩस अमोध्मा रोिे इस ऽ


शी भें मह त्मौहाय फनामा जाता है औय उस टदन आभ प्रजा को हष त



ण त अऩाय धन दौरत, जेवय फािे गए इस कायण रक्ष्भी (धन दौरत की देवी) के घय आन े का आदशत श्ी याभ की

धभतऩत्नी सीता के साथ ज


ड़ गमा फताकय भाि हाटदतक फधाई नहीॊ देंगे अवऩत


आऩको सच्िाई की कसोिी ऩय सही भाग त

बी फताएॉग ेताकक सार बय आऩ ख


श व आनॊदभम यहे |

धभतग


रुओ, फाफाओ, सॊतो, भहाग्रॊथों, धालभतक ऩ


स्तको के अन


साय फच्िो के टदर भें बगवान फस्ते है | वे याग रऩेि औय



ननमादायी से अनलबऻ होते है इस कायण उनकी कोभर भ


स्खान बगवान की भ


स्खान का आबास कयाती है | स


फह

उठने के साथ उन्हें योने से ि


ऩ कया भ


स्कयाने के लरए द


ध की फोतर, छोिे णखरोने, ननप्ऩर, नेऩी, दाॊत ख


जाने की

िाफी, झ


नझ


ना आटद साभान की जरुयत होती है औय मह सबी अचधकाॊश तोय ऩय िीन से ही आते है | महाॉ तक की



फह स


फह बगवानो के ऩ


जा ऩाठ, आयती के सभम भें उनकी पोि


, तस्वीय, भ


तत, राइिभम फ्रेलभगॊ , इि, न भ


यझान े
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