यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
खत्भ कयने का काभ अभयीका भें ऩहरे ही हो ि


का है जफकक सोववमत म


ननमन (1991), उतयी कोरयमा (2010), जामय

(1993), म्माॊभाय (1987) घना (1982) व नाईजेयीमा (1984) नोिों के ववभ


रीकयण कक असपरता मा कटठनाई का

कड़वा घ


ॉि ऩी ि


के है |

इसकी सपरता भें सफसे फड़ा धालभतक व सभ्मताओॊ का ग


ढ़ ऻान छ


ऩा है कक इस तयह के कदभ की सराह मा मोजना

स्वमॊ प्रधानभॊिी ऩद ऩय फैठे व्मष्ट्क्त ने फनाई मा ककसी ओय ने..... भेयी ऩािी की सयकाय कहने वारे नेताओॊ ने एक

व्मष्ट्क्त का भ


खौिा ऩहन घ


भ भिा यखी है |

इस एक ईंसान की ग

ूॉ

ज से असरी रोग बड़कने रग गमे ओय कई सफ


तों के साथ आगमे ष्ट्जसभें ऩीएभओ के दस्तावेज

बी है | महा तक की इन्होने आगे की मोजना फकैं िाॊजेक्शन िैक्स रगाने व एक सीभा तक आमकय को फन्द कयने को

बी उजागय कय डारा अथातत सायी तैमायी ष्ट्जस मोजना ऩय ह


ई व योड ऩय आकय असरी ऩयीऺा को िोयाहे ऩय खड़ी कय

यही है .....

प्रनतटदन नोि फदरने की सीभा 4000 कपय 4500 अफ 2000 तकनीकी तौय ऩय एिीएभ का काभ ना कय ऩाना, अॉग


री

ऩय स्माही रगाना व योज़-योज़ नमे टदशा-ननदेश व बी सोलशमर, वप्रिॊ एवॊ इरेक्िॉननक भीडडमा भें फवार होने के फाद

ऩहरे से तम की गई मोजना की सच्िाई जभीन ऩय रा यही है |

ववऻान के लसद्ाॊत अन


साय असरी मोजना फनाने वारा ऩहरे ही सायी ऩरयष्ट्स्थनतमों का आकरन कय रेता है आऩ सबी

इससे अच्छी तयह वाककप है क्मोकक आजतक स्क


री लशऺा भें भाना कक, िोकक इसलरए वारे सवारों को ब


रें नहीॊ है |

काराधन, भ्रस्िािाय फ


यी िीज है, अनैनतक, अधभत व व्मवस्था के लरए जहय है ऩयन्त


ककसी के फौवद्क ऻान को अऩना

फताना मा कहरवाना बी धभो एवॊ सॊस्क


नत के अन


रूऩ फौवद्क सम्ऩदा कक िोयी है |

यसामन ववऻान भें केलभकरो एवॊ आमनों कक कक्रमा भें ऩरयष्ट्स्थनतमो का आकरन व सभीकयण भें तीय के ननशान ऩय

ऊऩय लरखने का रयवाज है औय ताऩभान, नभी को ननमॊिण यखने कक यिी गई बाषा आऩ ब


र गमे होंगे ऩयन्त


धायावाटहकों व कपल्भों भें प्माय के अॊदय टदभाग के केलभकर रोिे को तो योज़ िीवी ऩय देखते है कपय साभाष्ट्जक

ऩरयष्ट्स्थनत, शाटदमों का खित, भ


रास्पीनत के अन


रूऩ टदनबय का खित, िरने वारी भ


रा को सहज कय अऩने को स


यक्षऺत

कयने के भानव स्वबाव व नमे नोिों को अऩने ऩास सफसे ऩहरे सहज के यखने कक बायतीम भानस के स्वबाव को

नगण्म भान रेना कहा तक उचित है | भाॉग के अन


रूऩ प्रनतटदन उत्ऩादन कयने कक गणणत का आकरन तो व्मवारयक

ऻान है जो हय ईंसान भेहभानों के घय आने से ऩहरे उसके खाने के इॊतजाभ भें फताता है |

मटद भ


रा के ववभ


रीकयण व योज़ नमे-नमे कान


नों से ऩरयष्ट्स्थनतमो को ननमॊबित कय रेने कक ह


काय बयने से व्मवस्था

फदरने का दभ बयना अहॊकाय व घभण्ड को न्मौता देना है क्मोकक नमे-नमे कान


न फनाना व आदेश देना कोई व्मवस्था

नहीॊ अवऩत


स्वमॊ एक व्मवस्था का टहस्सा भाि है |

इससे लसफ़त रोकताॊबिक व्मवस्था के कहे जाने वारे िाय स्तम्फो भें लसफ़त एक हावी हो जाता है व शेष तीनों स्तम्फो एव ॊ

अन्म केंरों को अऩने ननमॊिण एवॊ अचधकाय भें यखने का कामत होता है व व्मष्ट्क्तवाटद सोि का छोक रग जामे तो वह

तानाशाही मा भहानता के भाग तऩय िर ऩड़ता है |

िक्रवती बयत, िॊरग


प्त भौमत, सम्राि अशोक, भहायाणा प्रताऩ, शेहॊशाह अकफय व अनचगनत भहान रोग ह


मे है ष्ट्जन्होन े

अऩने कभत, ननरठाॊ व भेहनत से ऩ


यी कामप्रत णारी को स


दृढ़ कय जनता के लरए स्वगत/जनत फना डारा ऩयन्त


उनके जान े

के फाद सफक


छ बफखय गमा अथातत "व्मवस्था" का ननभातण नहीॊ हो सका क्मोकक मह एक व्मष्ट्क्त के क


सी ऩय आने-जान े

व उसके जन्भ एवॊ भ


त्म


ऩय ननबतय नहीॊ कयती है |
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