यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
इॊसानी सोि भें ववकास के लरए कई क


त्म उसके लरए प्रेयक व जाग्रत कयने वारे होते हैं । इसभें गरत कदभों का बी

सभावेश हो जाता हैं । इस ेएक साभान्म व्मवहाय की बाषा से सभझ ेकक भाॉ को अऩने फच्िों को गरत कयने ऩय सही

यास्ते ऩय राने के लरए िाॉिा भायना मा सदा देनी ऩडती हैं ।

साइॊटिकपक-एनालरलसस ...... ... - -


टदल्री के भ


ख्मभॊिी व याजनैनतक ऩािी "आभ-आदभी" ष्ट्जसके भाध्मभ से मह ि


न के आमे उनके नेताओॊ ऩय स्माही व



ते - िप्ऩर पेकने का लसरलसरा रगाताय जायी है............

कटहमो का कहना की मह वो ऽ


द कयवाते है औय कटहमो का कहना की द


सयी याजनैनतक ऩािी के रोग कयवात े

है..............

ववऻान तो कहता है कक मह लसरलसरा बायत कक जनता के टहत भें है.......

अफ जनता याजनैनतक नेताओॊ से नही ॊ डयती ...... आऩ कहोगे क्मा औय कयोगे क्मा तो त


यॊत जवाफ लभरेगा ..........

अफ वो सभम िरा गमा जफ क


सी कक ऩॉवय व स


यऺा कलभतमों के वऩछे छ


ऩ जाते थे | क


छ टदनो ऩ


वत काॊग्रेस ऩािी के

उऩाध्मऺ ऩय बी ज


ता िरा व न जाने ककतने नेता देश बाय भें जनता द्वाया थऩड, भ


क्कों, रातो एवभ ्डण्डो से नवाज े

गमे व नवाजे जा यहे है.....

जफ तक सववधान भें जनता कक आवाज को व्माऩक व कान


न अचधकाय नहीॊ टदमा जामेगा ...... मह लसरलसरा रुकन े

वारा नही है.... आगे मह कायवा श


न्म कक औय फढ़ यहा है जो रोकताॊबिक व्मवस्था को साम्मम के अन


रूऩ ववकलसत

कयके ही रुकेगा.....

अबी तो सफसे बमावह तश्वीय फनना फाकी है जफ जातीवाद का बेदबाव याजनेताओॊ के साथ बेदबाव ऩय लशफ्ि हो

जामेगा रोग मह नहीॊ देखेगें कक ...... वह ककस याजनैनतक ऩािी से सॊफॊध यखता है | इसभें कई अच्छे रोग गेह



भें ध



कक तयह ऩीस जामेगे.....

सभम औय सच्िाई ककसी से रुकने वारे नहीॊ है महीॊ ववऻान का लसद्ान्त है "आवश्मकता आववरकाय कक जननी है" औय



र आवश्मकता रोकताॊबिक व्मवस्था को अऩडेि कयने कक है.....

सत्माऩन ...... ... - -

सभाज से याजनेताओ को फाहय पेकने का प्रायॊलबक दौय श



रू ...... भानो द



ध भें से भक्खी ननकार पेंकी!


खफय:- एक भ


ख्मभॊिी ऩय ज


ता पेका, द


सये ऩय ऩत्थय फयसाए, साॊसदों - ववधामकों को जान फिा के बागना

ऩड़ यहा है, छोिे-फड़े छ


िबैमा नेताओ का हार ओय द


बय ह


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