यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
आऩने इस ऩ


ये ववश्रेषण को ही नहीॊ सभझ ऩामे तो इसभें छ


ऩे उऩाम तक कैसे ऩह


ॊि ऩामेंगे | इसलरए हभने लरखा

था......

"इसके भाध्मभ से अमोध्मा याभ भॊटदय - फाफयी भष्ट्ज्जद वववाद का उऩाम है ऩयन्त


वततभान भें यखा तो सभझन े भें ही

100 वष त से अचधक का सभम रग जामेगा क्मोकक भानवीम सोि व प्रशासननक नैनतकता एवॊ कततव्मफोध इस स्तय के

नहीॊ है |"

अफ इस ऩ



ये वैऻाननक-ववश्रेषण को इस तयीके से सभझे.....


ऩहरा ग्राप इस औय येखाॊककत कया गमा है कक इस वववाद ऩय कोई बी एक व्मक्तव्म देदे तो लभडडमा भें छा जाता है |

महाॉ फहस श


रू हो जाती है औय फहस भ


द्द ेको रेकय नहीॊ होती औय ज


फानी फाते ऐसी होती है कक जैसे रड़ाई भें तरवाये

िर यही है अथाततत भीडडमा के ववशेषऻों के ऩास कोई सभाधान नहीॊ है |



सये ऩेयेग्राप भें उच्ितभ न्मामारम के आदेश के आधाय ऩय मह स्ऩरि कया कक अदारत औय ष्ट्जयह भें बाग रेने वारे

राखो कक फ़ीस वारे वककमो के ऩास बी कोई उऩाम नहीॊ है | इनभें वही रोग है जो अदारत भें वकीर औय सयकाय भें

ककसी ऩद ऩय होते है ष्ट्जन्हे सॊकिभोिक के नाभ से भटहभाभॊडडत ककमा जाता है |

तीसये ऩेयेग्राप भें अन्धववश्वाश पैराने वारो व जाद


िोिके के नाभ ऩय जनता को फेवक


प फनाने वारो कक ऩोर खोरी

है कक उनके ऩास जनता को ठगने के आरावा क


छ बी नहीॊ है | मे हय सभस्मा को उल्िा सीधा हर फताके आगे के

सभम कक ढार फना िर ऩड़ते है ऩयन्त




प्रीभ कोित के सभम रेने से इनके िोिको कक ऩोर ख


र गई | इनके भाध्मभ

से बी कोई सभाधान नहीॊ..... ककसी को देवी आना, देवता आना मा अऩन ेआऩ को देवी व बगवान कहने वारो को लसये

से ही फहाय कया गमा है |

िौथे ऩेयेग्राप भें इस ववश्रेषण को ष्ट्जस खफय का आधाय फनामा उसको जोड़ा है |

ऩािवे ऩेयेग्राप भें ववऻान के लसद्ाॊत का उल्रेख कयते ह


ए अन्म तयीको से भाभरा कहा बिक यहा है वो इॊचगत ककमा है

|

छठे ऩेयेग्राप भें हभने आज के याजनैनतक तॊि ऩय सीधा किाऺ ककमा है क्मोकक हय ककसी बी भ


द्दे ऩय मही रोग ऩहरे

िाॉग अड़ाते है | इस अमोध्मा वववाद को इन्होन े ही नास


य फनामा है औय सफसे फड़ी फात इन भेसे ककसी के ऩास बी

कोई उऩाम नहीॊ है | इसलरए इनसे कोई उम्भीद कयना फेईभानी होगी |

सातवे ऩेयेग्राप भें हभने धालभकत एवॊ साभाष्ट्जक सॊगठओॊ को लरमा है | इनके भाध्मभ से कोई उऩाम हो ही नहीॊ सकता

है क्मोकक इनका उद्भव ककसी एक धभत व सॊप्रदाम को रेकय ह


आ है | इसलरए श


रुवात कही से बी कये वो लसपत एक केंर

तक जाकय रुक जाते है जफकक लसद्ाॊत मही कहता है कक ऩहरे सफको स


नो व उनका आधाय क्मा है उसको सभझो |

मह अऩने धभत से आगे नहीॊ सोिते व उऩाम के लरए द


सये धभो औय आधाय को सभझना जरुयी होता है | मह द


सये के

उनके धभत भें आस्था व ववश्वास को श


न्म भान कय िरते है इसलरए कोई उऩाम सम्बव नहीॊ हो सकता | मह ऩ


या

वववाद ही सफकी अऩनी-अऩनी आस्था औय ववश्वास से ज


ड़ा है |

आठवाॊ ऩेयेग्राप है आज की व्मवस्था को साभन े यखने का व इसके भाध्मभ से वववाद ऽत्भ कयने के उऩाम का.... मह

लसपत कान


न फनाने की फात कयता है औय ताकत के दभ ऩय उसे राग


कयने की धौस देता है ऩयन्त


सभस्मा मह है की
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