biranishri
(Biranishri)
#1
सत्तयवें ऩेयेग्राप भें हभने अऩने लसद्ाॊत को ऩ
ु
यान ेएक उदहायण के भाध्मभ से सही होने का प्रभाण टदमा है ताकक हभाये
प्रनत ऩाठक का ववशवास फना यहे औय सबी नकायात्भकता से ऊप्ऩय उठ कय सबी का आत्भववश्वाश भजफ
ू
त हो सके
औय एक नई िेतना के साथ साभने टदखे प्रकाश को उज्जवर बववरम की भ
ू
तत को भहस
ू
स कय ऩामे |
अठायवे ऩेयेग्राप भें ववऻान औय धभत के इस नमे गठजोड़ को सभझने का भागत साभने यखा है ताकक सबी ऩढ़ने वारे
वैऻाननक-ववश्रेषण की भ
ू
र बावना को सभझे क्मोकक ग
ू
गर ऩय बी सि त कयने ऩय इसके फाये भें आऩको क
ु
छ नही ॊ
लभरेगा |
ग
ु
नीसवे ऩेयेग्राप भें हभने हभायी आज की ऩरयष्ट्स्थनत को साभने यखने की कोलशश कयी है ताकक सबी अमोध्मा वववाद
स
ु
रझाने के टहतेषी हभ ऩय सफक
ु
छ त
ु
यॊत फताने का दफाव ना फनामे क्मोकक व्माक
ु
रता बी हभायी भानलसकता ऩय
अनिाहा दफाव फना सकती है |
फीसवीॊ राईन मह साप तौय ऩय फताने के लरए है कक हभने जो बी तथ्म लरए है वो सबी वततभान भें िर यही खफयों स े
लरए है ...... इसलरए उनका सत्माऩन उन खफयों के भाध्मभ से है कये |
रेखक का जीवन अन
ु
बव व मोनमता आऩ इस ऩोस्ि से जान सकते हैं ।
इसे धभत ऩबिका ने प्रकालशत कयी है | इसभे प्राम् साध
ु
सॊतो की जीवनी व जैन धभत से ज
ु
ड़े लसद्ान्तो के फाये भें प्रकालशत ककमा जाता है |
इसन ेफड़ी व्माऩक सोि का ऩरयिम देते ह
ु
ए शैरेन्र क
ु
भाय बफयाणी के फाये भें फड़े ववस्ताय से 3 ऩेजो भें प्रकाशन ककमा है |
प्राम् रोग ऩहरे ष्ट्जॊदगी बय ईभानदायी, फेईभानी, नैनतक - अनैनतक, धभत - अधभत, ़ान
ू
नी औय गैयकान
ू
नी तयीके से धन अष्ट्जतत कयते है
कपय दान, भॊटदय / भष्ट्ज्जद / धभत स्थर फनाकय उसऩे अऩना नाभ लरखवा कय, असहाम, गयीफ व अऩने औय द
ु
सयो से सताए ह
ु
ए रोगो
ऩय हभददी जाता कय िाॉद रुऩमे देकय, जीवनी की ककताफ छऩवाकय, त्मोहायो औय जन्भ टदवस ऩय फड़ी फड़ी ऩािी फनाकय, फड़ ेफड़े
ऩोस्िय व ववऻाऩन रगवाकय, अऩने नाभ का िस्ि खोरकय भहान व इनतहास भें फने यहना िाहते है |
इसके ववऩयीत शैरेन्र सफक
ु
छ बेजकय अऩने जीवन भें अच्छा काभ औय नाभ कय ि
ु
के है उन्हें अफ उप्ऩय लरखी द
ु
ननमादायी भें ऩड़ने की
जरुयत कहा है | इसके द
ू
सये ऩहर
ू
रोगो, देश औय भानव जानत एवॊ सभाज को लभरने की, उसका सि फह
ु
त ही कड़वा औय कठोय है |
आजतक सफने फधाईमा, अच्छा, फह
ु
त फटढ़मा, कहा ऩरयणाभ भें उन्हें बी उतना ही लभरा इस अववरकाय के उत्ऩाद आऩके बी शीघ्र
लभरेंगे | कबी बी सयकाय, प्रसाशन, व्मवस्था, सभाज, ष्ट्जम्भेदाय नागरयको ने कोई प्रेिपाभत, श
ु
रुवाती स
ु
ववधामे, कामत को ककयमावन
की अन
ु
भनत, प्रायॊलबक कागजी औय भ
ु
रब
ु
त आवशमकता ऩ
ू
यी नहीॊ की तो को कैसे रोगो को पामदा ऩॊह
ु
िा सकता है | प्राम् सबी रोग
शैरेन्र को क्मा लभरेगा औय हभें क्मा लभरेगा के बवय भें उरझ कय यहा गए औय शैरेन्र अऩने जीवन का सद
ु
ऩमोग कयके ननकर गए |
350 वषष ऩ
ु
याने आध
ु
ननक चचफकत्सा ऺेत्र भें बायत को फनामा अगणी
म
ु
वा वैऻाननक शैरेन्र क
ु
भाय बफयाणी का चिककत्सा ऺेि भें नमा अववरकाय