है क्म
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ॉकक ऐसा कोई प्रावधान ही नहीॊ है | ननिरे स्तय के फाफ
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से प्रधानभॊिी व यारिऩनत-बवन तक मही हार है |
आभ आदभी ककतना ही अन
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योध कय रे, ननवेदन कय रे, िाहे रोगो को भयने से फिने का भाभरा हो , यारि ननभातण स े
ज
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ड़ी कोई बी स
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िना /क्रभ / ववकास की फात हो मा कपय स्वमॊ यारिऩनत भहोदम व प्रधानभॊिी के ष्ट्जॊदगी व भौत की
फात हो वो बी कागजी कामतवाही भें "लशकामत" के रूऩ भें ही दजत होगी |
21 वी सदी भें म
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वा हो यहे रोकतॊि भें कॊप्म
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िय के भाध्मभ से ही बेज दो औय ऑिोभैटिक यष्ट्जस्िडत नम्फय रे रो वो दज त
होंगे लशकामत के रूऩ भें ही व लसफ़त इतनासा ही ऩरयवततन आमेगा की उस े लशकामत नहीॊ grievance (चग्रएवेंस) कहा
जामेगा.......
इस एक कागजी िार से ऩ
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यी सयकाय व सयकायी कभतिारयमों का तन्ि उस आभ आदभी के णखराप हो जाता है क्म
ू
ॉकक
लशकामत कयने वारे को कैसे ननऩिामा जाता है वो बी याजा-भहायाजाओॊ की भानलसकता के सहाये आऩ जैसे ऻाननमो व
ब
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क्त बोचगमों से फेहतय कौन जानता है |
इसके प्रभाण भें हभ सयकाय प्रभाणणत स्वत् ि
ू
िने वारी लसरयॊज के आववरकाय को जनता तक ऩह
ु
ॉिाने की दस सार से
जायी नीिे से उऩय तक की सयकायी प्रकक्रमा के सबी सयकायी कागजों के यष्ट्जस्िड तनम्फय लरखेगे तो आऩ कहेगें की हभ
अऩशधद लरख यहे है | ऎसे ही लभरते ज
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रते प्रारूऩ हभेशा TV िनै रों ऩय "फीऩ" की आवाज़ के सभम झरक टदखाते यहत े
है | कटह रोगो के भोफाइर तो इतनी कालरख आ जाने से हैंग हो जामेगे |
इसलरए आऩ स्वमॊ यारिऩनत भहोदम, प्रधानभॊिी मा ककसी बी सवेधननक सॊस्था की वेफसाइि ऩय जाकय लसफ़त एक
अन
ु
योध कयके देखे ......ऩरयणाभ के रूऩ भें गणतॊि के क
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रूऩ-िेहये की कालरख आऩतक SMS ऩि मा भेर के रूऩ भें
ऩह
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ि जामेगी |
आज प्रत्मेक भॊि से ववऻान के आववरकायों से ववकास की फात व सभाज औय व्मवस्था भें फदराव की फात कयी जा यही
है ऩय फदराव के अन
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योध का प्रावधान है ही नहीॊ | रोकतॊि भें फह
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भत से कही फात आगे कड़ी से कड़ी के भाध्मभ से
ऊऩय तक ऩह
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िती है ऩयन्त
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ववऻान के लसद्ाॊत तो मही कहता है जो कोई नई सोि लसफ़त एक मा क
ु
छ व्मष्ट्क्त ऩहरी
फाय सोिें व कये उसे ही आववरकाय कहते है औय सयकायें बी ठप्ऩा उसी ऩय रगाती है |
रोकतॊि की बाषा भें फह
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भत प्रधान है मटद ऩानी को नीिे से ऊऩय फहाने की फात म
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ॉही दोहयाई जाती यही तो ऩानी
अवश्म नीिे से ऊऩय फहकय फता देगा क्म
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ॉकक रोगो की भाने तो बायत की ब
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लभ ऩय जन्भ े राखों-कयोड़ों देवी-देवता,
बगवान आशीवातद जरूय देते है जो असॊबव को सॊबव भें फदर डारते है व शास्िों एव ॊधभो की बाषा भें ऩानी को उल्िा
फहाना "प्ररम" कहराता है |
इस वैऻाननक-ववश्रेषण की कारी स्माही से ही लरणखत भें आऩको गणतॊि-टदवस की हाटदतक श
ु
बकाभनामे!
बायतीम रोकतॊि की हारत क्मा है औय ऊऩय से ननिे सबी सॊवैधाननक सॊस्थाए कैसे काभ कयती है वो आऩ इसस े
सभझ सकत े है। मह लसपत एक उदहायण भाि है ऐसे कायनाभे / घिनाएॊ हय योज रूऩ फदरकय साभने आते यहते है।
इससे एक यारिऩनत होने के नाते भ
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झे सभझना है कक रोकतॊि भें सबी सॊवैधाननक सॊस्थाए कैसे ववघटित हो गई है जो