biranishri
(Biranishri)
#1
नई ववकससत रोकताब्द्रत्रक व्मवस्था का प्रारूऩ (याष्रऩनत-बवन की भोहय के साथ).....
ष्ट्जससे आभ नागरयक व देश की अचधकाॊश सभस्माएॉ होगी ऽत्भ औय बायत ऩय आमेगा उसका असरी भें शासन
अॊग्रेजो से आजादी के फाद बायत भें आभ जनता का अचधकाय आमा | इसे िरने के लरए सॊववधान का ननभातण ककमा
गमा | मह रोकतॊि के नाभ से प्रिलरत ह
ु
आ ऩयन्त
ु
आजादी के फाद 71 वषत तक आते-आते रोकतॊि, ऩािीतॊि औय
कान
ू
न के तयीके ने ष्ट्जन्दगी जीने को भजफ
ू
य तॊि फना टदमा |
हय याजनैनतक ऩािी भें अऩयाचधमों की बयभाय हो गई | हय घोिारे, भ्रस्ििाय, अऩयाध भें इन्ही रोगो का नाभ आता है |
एक ऩािी को ि
ु
नाव भें वोि देकय हिाओ व द
ू
सयी को राओ तो व उससे बी ज्मादा घोिारे व भ्रस्ििाय कयती है | इसभें
आश्िमत की फात मह है कक जैसे ही ककसी ऩािी को सत्ता लभरती है द
ू
सयी ऩािी के कई नेता उसभे फोयी बफस्तय रेकय
िरे आते है|
द
ू
सयी ऩािी को 5 वषत तक कैसे-तैसे फदातस्त कयके कपय ि
ु
नाव से हिाओ तो वाऩस ऩहरी ऩािी को राना ऩड़ता है इसके
अनतरयक्त कोई भागत ही नहीॊ है | जानतवाद, वादाणखरापी, आयऺण के नाभ ऩय बेदबाव, स
ु
ववधाओॊ व आचथतक पामदों
को अऩने रोगो भें फॊदयफाि, आऩस भें रोगो को रड़वाने के लरए जानफ
ू
झ फड़ी प्राननगॊ के साथ तोड़पोड़, बायत फॊद,
राठीिाजत, जेर भें ठ
ू
सने के नाभ ऩय मे अॊग्रेजो से बी ज्मादा क्र
ू
य व ननदतमी साबफत हो यहे है | अग्रॊ ेजो ने रगान भें
ष्ट्जतना िैक्स नहीॊ वस
ू
रा मे उससे बी कई ग
ु
ना वस
ू
र कय यहे है | कई भें तो भ
ू
र कीभत से ज्मादा िैक्स रेकय
अथशत ास्ि को ख
ू
िी ऩय उल्िा िाॉग के यखा है |
आज अचधकाॊश व्मष्ट्क्त ककसी न ककसी भ
ु
द्दे ऩय सयकाय के कदभो से नायाज व ऩयेशान होकय आऩस भें ज
ु
ड़कय सड़को
ऩय आॊदोरन कय यहा है | न्मामऩालरका भें बी ववयोध के स्वय आ ि
ु
के है | इससे बी आगे फड़ी फात अफ तो घोिारो व
भ्रस्ििाय भें सबी की साभ
ू
टहक बागीदायी साभने आने रगी है | कान
ू
नों व आदेशों को तोड़-भोड़ कय स
ु
मोष्ट्जत तयीके से
धन को र
ु
िा जा यहा है | अऩयाचधमों को सजा अऩयाध देखकय नहीॊ अवऩत
ु
उसके ऩैसे, ऩीछे की बीड़तॊि औय सत्ता भें
ककस स्तय ऩय उसकी ऩह
ु
ॊि है उस आधाय ऩय तम हो यहे है |
इतना सफक
ु
छ हो यहा है व हय योज नमे स
ू
मोदम के साथ ऩरयष्ट्स्थनतमा औय अचधक फदतय होती जा यही है | अफ
सवार आता है कक उऩाम क्मा है? मटद उऩाम है तो आधाय व प्रभाण क्मा है क्मोकक काभ कयने का सभम आता है
मा जनता सत्ता ऩय बफठाती है तो ज
ु
भरा कहकय साभने वारे कक प
ू
हड़ हसी उदा दी जाती है औय उसे अहसास कयामा
जाता है कक त
ु
भ गवाय, नासभझ व उल्र
ू
फनामे गमे हो |
सभम इन सबी को रेकय इतना फफातद हो गमा है कक अफ लसपत कान
ू
न फनाने से क
ु
छ नहीॊ होगा अवऩत
ु
कान
ू
न ष्ट्जसके
के तहत फनते है उस व्मवस्था को ही ववकलसत कयना ऩड़ेगा | याजतन्ि व ऩािीतॊि के फाद लसपत रोकतॊि ही सवतश्ेस्ठ
है इसके आगे क
ु
छ बी नहीॊ है | इसलरए हभ रोकतॊि को हिाने की नहीॊ उसको ववकलसत कयनी की फात कय यहे है |
इस ववकलसत तॊि का एक प्रारूऩ हभ अऩने असरी स्वत् ि
ू
िने वारी लसरयॊज के अववरकाय वारी पाइर के साथ
यारिऩनत को बेज ि
ु
के है | मह लसपत उसका प्रारूऩ भाि है | मह सफ क्मा है, कैसे सफक
ु
छ होगा, जनता इसको कैसे
अऩडेि कयेगी मह सफ इस एक ऩोस्ि भें तकननकी रूऩ से सॊबव नहीॊ है |
अमोध्मा-वववाद, फेयोजगायी, ऩेिोर-डीजर की फढ़ती कीभत आटद भ
ु
द्दों के उऩाम की झरक आऩको हभायी ऑनराइन
ऩोस्िो भें लभर जामेगी | वततभान भें हभ प्रभाणणकता के रूऩ भें उस ववकलसत रोकतॊि व्मवस्था के प्रारूऩ की वो कॉऩी