यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
इसके अनतरयक्त याजनैनतक दरों, प्रधानभॊिी के ननजी आियणों, प्रशॊसा इत्माटद इत्माटद के फाये भें लरखा जो अफ तक

भीडडमा के भाध्मभ से साभने आमा। इन सबी फातो का बफना कागजी कामतवाही के कोई औचित्म नहीॊ है क्मोकक

सॊववधान के अन


साय यारिऩनत की कोई ननजी ष्ट्जन्दगी नहीॊ होती। ऐसी फाते उल्िा उन्ही के द्वाया गटठत वततभान

सयकाय ने जो "बायत-यत्न" टदमा उस ऩय सवार ऩैदा कयता है औय रोगो के टदभाग भें सौदेफाजी कय मा ऩारयतोवषक के

रूऩ भें रेने का शॊशम ऩैदा कयता है।

यारिऩनत सबी केंरीम ववश्वववद्मारम के क


रऩनत होते है । वे हभायी एक बी म


ननवलसतिी द


ननमा की िॉऩ 200 भें क्मों

नहीॊ का प्रश्न ऩ


छने के नाभ ऩय ऩ


ये देश भें घ


भ लरए ऩयन्त


अबी तक मह साभने नहीॊ आमा की उन्होंने इसके लरए

ठोस कया क्मा, कौनसी मोजना फनाई व उसका ऩरयणाभ क्मा ह


आ?

इन यारिऩनत भहोदम के ऩास प्रनत लभनीि एक व्मष्ट्क्त के रगाताय भयने की जानकायी थी व उसको योकने का उऩाम

बी ऩयन्त


उस ऩय बी क


छ नहीॊ ककमा उल्िा यारिऩनत बवन को द


ननमा भें भौत फािने का केंर फना टदमा। आज

कोयोना का कहय व नमे नमे आ यहे वाइयसों के ऩैदा होने का कायण इनकी ही जवाफदेही से भ


ॉह भोड़ने का प्रनतपर है।

ईंसानों की रगाताय भौत जायी यहे औय उऩाम को अऩने ऩास दफाकय ि


ऩ यह जामे वो भानलसक रूऩ से फीभाय ही हो

सकता है। इस उऩाम के दफाने का ऩरयणाभ भेडडकर साइॊस का ववकास रूक गमा औय वामयस आगे व


वद् कय खतयनाक

से खतयनाक हो गमे। कोयोना वामयस का उद्भव बी इसी श्


ॊखरा की एक कड़ी हैं। इसलरए हभने इन्हें ऩद से हिाने का

भाभरा प्रभाणणत दस्तावेजों के साथ उच्ितभ न्मामारम भें दाणखर ककमा था।

आगे जफ आयिीआई रगा कय जानकायी भाॊगी तो ऩता िरा की भ


ख्म न्मामाधीश ने इसे जनटहत का भ


द्दा नहीॊ भाना

औय पाईर को ननयस्त कय टदमा। आज नमे नमे खतयनाक वामयसों की िने ऩ


यी धयती ऩय ईंसानी ष्ट्जॊदगी ऩय बायी ऩड

यही हैं व उसे ववनाश की तयफ़ धकेर यही हैं। बववरम भें मह वामयस कैसे फढेंगे व भहाववनाश कैसे रामेंगे वो ववस्ताय

से जानने के लरए वैऻाननक-ववश्रेषण को ऩढें।

वामयसों की इस िेन को खत्भ कयना व ऩैदा होने से ऩहरे ही योकना जनटहत नहीॊ हैं व इस ऩय अष्ट्न्तभ ननणतम योक

कय यखना भानलसक टदवारीमाऩन नहीॊ तो क्मा है। आऩको जानकय आश्िमत होगा कक इस आववरकाय को दफामे यखने से

कोयोना वामयस ऩैदा होने का भागत प्रशस्त यहा व मह वामयस ही ब


तऩ


वत यारिऩनत प्रणफ भ


खजी की भौत का कायण

फना। हभने उनकी भौत से ऩहरे ही वैऻाननक-ववश्रेषण "भय जामेंगे लभि जामेंगे ऩयन्त


रोगों को जीने नहीॊ देंगे" ऩोस्ि

( 18 - 10 - 2015 ) कय टदमा था। आऩ इस भें सयकायी तन्ि के इन भौत के सौदागयों की ऩ


यी लरस्ि देख सकते हैं।



ननमा के सफसे फड़े रोकतॊि वारे देश के सवोच्ि ऩद ऩय फैठने वारा व्मष्ट्क्त इस तयह की कामतशैरी प्रस्त


त कये औय

उसकी प्रशॊसा व बायत यत्न कहा जामे तो ववऻान क्मा साभान्म तकत से ऐसे बायत का बववरम भें कोई वज


द नहीॊ है।

इसी को आधाय फनाकय 5 - 10 रोगों औय ऩैदा हो गमे तो बी गणतॊि ऩय ऩानी कपय जामेगा।

नोि:- टदवॊगत ब


तऩ


वत यारिऩनत प्रणफ भ


खजी की ककताफ द प्रेलसडेंलशमर इमसत को प्रकालशत कयने वारी रूऩा प्रकाशन ने
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