स्वर्णिम दर्पण

(Kumar dhananjay suman) #1
धार म देश

पूजा


दोबारा बे हम बन जाए.....

बचपन क है कु छ बात नराली,

ब- से बे हम बन जाए,

अपन के दल म बस जाए.

च - से चहल-पहल मचाए ,

खुशय के हम दीप जलाए.

प - से पढ़ाई का नाम जब आए,

न - से नौटंक हम बन जाए.

छलनी मुान नह हमारी, नल मुान होती है.

मुखड़ा कोई ना पहना होता ,

चेहरा बचपन का असली है.
अपना पराया जान ना पाते,

सब पर अपनापन हम लुटाते.

जात पात मन म ना आती ,

म क एक टोली बन जाती.

गुे म कोई हम डराए, भोलापन देख वह खुद मुु राए.

काश बचपन लौट आए,

बचपन

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