मधु ȁी
आनंद के वल श मा
या स वो जो है चरंतन
सुख व दुख से जो इतर
शव त से एकाकार मन
चर ाई स शा त
सत से चत तक का मलन ।
लौ उठे अंतस शखा क
ऊ गामी ब दु तक
या सुगंध मृगना भका
खोज म य तक
है का शत है सुवा सत
अनंत या ा तक गमन।
आदांत तक हयाकाश म
सू संवेदना के कण
नीलधर शर ध र म ण
जैसे दमकते तारा गण
या कसी आकाश गंगा
को मला व ा रत गगन।
आनंद के वल श मा
या स वो जो है चरंतन।
आनंद