biranishri
(Biranishri)
#1
ष्ट्जन कायणों के आधाय ऩय वववाद हैं व अऩन-ेअऩने तको के दभ ऩय सच्िाई को अऩने ऩारे भें कयने की ज
ु
गत िरा
यखी हैं उसके लरए बी लरखा था......
# बायतीम रोकतॊि भें ऐसी कोई व्मवस्था नहीॊ है जहा देश भें इस तयह के प्रसायण के ऩहरे ही धालभतक व साभाष्ट्जक
तौय ऩय उसकी स्वक
ृ
नत रग सके | ष्ट्जससे लसफ़त अऩवाद स्वरूऩ एक मा दो ह़ी़त से ऩ
ु
ये सभाज, सॊस्क
ृ
नत को बिकन े
व ारत टदशा भें जाने से फिामा जा सके |
सफसे फड़ी रोकिाष्ट्न्तक खाभी को प्रश्न फनाके साभने यखा की "बायतीम सॊववधान भें साभाष्ट्जक व धालभतक सॊगठन
फनान ेका कान
ु
नी प्रावधान तो है ऩय क्मा उनकों आगे व्मवस्था से जोड़ने की कोई प्रकक्रमा नहीॊ है"
इसका उऩाम बी हभने फतामा था । इस ेजानने व सभझने के लरए वैऻाननक-ववश्रेषण "मे तभािा लसस्िभ के गार ऩय
ऩड़ा है व ग
ू
ॉज उसके अदॊ य से ि
ू
िे मा बफखये होने के कायण आई है" को द
ु
फाया ऩढ़ें....
...... ... - - को द कश्भीय पाईल्स भ
ू
वी को रयलरज ककमा
गमा | इस कपल्भ को कश्भीय से टहन्द
ू
ओ ॊके ऩरामन को आधाय फनामा गमा ऩयन्त
ु
इसे कान
ू
न वैध नहीॊ भाना जाता हैं
। मह लसपत एक भनोयॊजन का भाध्मभ फनकय ही यहेगी | इस भनोयॊजन भें हास्म न होकय ग
ु
स्से व क्रोध को केष्ट्न्रत
कया गमा हैं ।
इसभें वववादों की आॊधी व आकडों की गपरागपरी भें जभकय प्रिाय प्रसाय हो गमा औय फनाने वारों ने कभाई के रूऩ
भें िाॊदी काि री | इसभें बी थोडा फह
ु
त कश्भीयीमों व इसका दॊश झेर ि
ु
के रोगों को देने व देंने की भाॊग को रेकय
याजनीनत के "दान" नीनत का दाॊव िरा टदमा गमा |
इस फवार भें धभत के आधाय ऩय तडका रगाने से धालभतक साध
ु
सॊतो, ग
ु
रूओ, ॊ भौरवीमों, काजीमों व धभत के ठेकेदायों को
बी प्रिाय का टहस्सा फना लरमा | इस प्रिाय भाध्मभ की स्िेिजी की काभमाफी इतनी जफयदस्त यहीॊ की उसने प्रधानभॊिी
ऩद का बी इस्तेभार कय लरमा |
प्रधानभॊिी ऩद ऩय फैठे व्मष्ट्क्त की याजनैनतक ऩ
ृ
रठब
ू
लभ होने के कायण सफने अऩने अऩने स्वाथ त के अन
ु
रूऩ घारभेर
कया | प्रधानभॊिी वारे सॊवैधाननक ऩद के लरए हभ वहीॊ कहेंगे जो ऩहरे यारिऩनत भहोदम के ऩीक
ू
कपल्भ देखने ऩय कहाॊ
था ।
साइॊटिकपक-एनालरलसस ...... ... - -
बायतीम जनता ने स्वमॊ फना टदमा ................... अच्छे टदन राने का भागष
खफय:- क
ु
सी, ऩावय, हचथमाय व धभककमों के बफना ही बायत की जनता ने ऩाककस्तान को टदमा भ
ु
ॉहतोड़ जवाफ
फह
ु
त हो गमा भ्रस्तािाय, रेिरतीपी, पाइरों की ऩरयक्रभा, जानतवाद, आयऺण का याग, सटहरण
ु
ता व असटहरण
ु
ता की
फहस, भनोयॊजन के नाभ ऩय ष्ट्जस्भो का प्रदशतन कया अशरीरता भें ड
ु
फोना, देश के नाभ ऩय िैक्स ऩय िैक्स रादने का
लसरलसरा, कान
ू
न के नाभ ऩय डया-डया के जफयन धन वस
ू
री का नगभा, प्राक
ृ
नतक घिनाओॊ की आड़ भें व फाज़ाय के