यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
ष्ट्जन कायणों के आधाय ऩय वववाद हैं व अऩन-ेअऩने तको के दभ ऩय सच्िाई को अऩने ऩारे भें कयने की ज


गत िरा

यखी हैं उसके लरए बी लरखा था......

# बायतीम रोकतॊि भें ऐसी कोई व्मवस्था नहीॊ है जहा देश भें इस तयह के प्रसायण के ऩहरे ही धालभतक व साभाष्ट्जक

तौय ऩय उसकी स्वक


नत रग सके | ष्ट्जससे लसफ़त अऩवाद स्वरूऩ एक मा दो ह़ी़त से ऩ


ये सभाज, सॊस्क


नत को बिकन े

व ारत टदशा भें जाने से फिामा जा सके |

सफसे फड़ी रोकिाष्ट्न्तक खाभी को प्रश्न फनाके साभने यखा की "बायतीम सॊववधान भें साभाष्ट्जक व धालभतक सॊगठन

फनान ेका कान


नी प्रावधान तो है ऩय क्मा उनकों आगे व्मवस्था से जोड़ने की कोई प्रकक्रमा नहीॊ है"

इसका उऩाम बी हभने फतामा था । इस ेजानने व सभझने के लरए वैऻाननक-ववश्रेषण "मे तभािा लसस्िभ के गार ऩय

ऩड़ा है व ग


ॉज उसके अदॊ य से ि


िे मा बफखये होने के कायण आई है" को द


फाया ऩढ़ें....

...... ... - - को द कश्भीय पाईल्स भ


वी को रयलरज ककमा

गमा | इस कपल्भ को कश्भीय से टहन्द


ओ ॊके ऩरामन को आधाय फनामा गमा ऩयन्त


इसे कान


न वैध नहीॊ भाना जाता हैं

। मह लसपत एक भनोयॊजन का भाध्मभ फनकय ही यहेगी | इस भनोयॊजन भें हास्म न होकय ग


स्से व क्रोध को केष्ट्न्रत

कया गमा हैं ।

इसभें वववादों की आॊधी व आकडों की गपरागपरी भें जभकय प्रिाय प्रसाय हो गमा औय फनाने वारों ने कभाई के रूऩ

भें िाॊदी काि री | इसभें बी थोडा फह


त कश्भीयीमों व इसका दॊश झेर ि


के रोगों को देने व देंने की भाॊग को रेकय

याजनीनत के "दान" नीनत का दाॊव िरा टदमा गमा |

इस फवार भें धभत के आधाय ऩय तडका रगाने से धालभतक साध


सॊतो, ग


रूओ, ॊ भौरवीमों, काजीमों व धभत के ठेकेदायों को

बी प्रिाय का टहस्सा फना लरमा | इस प्रिाय भाध्मभ की स्िेिजी की काभमाफी इतनी जफयदस्त यहीॊ की उसने प्रधानभॊिी

ऩद का बी इस्तेभार कय लरमा |

प्रधानभॊिी ऩद ऩय फैठे व्मष्ट्क्त की याजनैनतक ऩ


रठब


लभ होने के कायण सफने अऩने अऩने स्वाथ त के अन


रूऩ घारभेर

कया | प्रधानभॊिी वारे सॊवैधाननक ऩद के लरए हभ वहीॊ कहेंगे जो ऩहरे यारिऩनत भहोदम के ऩीक


कपल्भ देखने ऩय कहाॊ

था ।

साइॊटिकपक-एनालरलसस ...... ... - -


बायतीम जनता ने स्वमॊ फना टदमा ................... अच्छे टदन राने का भागष


खफय:- क


सी, ऩावय, हचथमाय व धभककमों के बफना ही बायत की जनता ने ऩाककस्तान को टदमा भ


ॉहतोड़ जवाफ

फह


त हो गमा भ्रस्तािाय, रेिरतीपी, पाइरों की ऩरयक्रभा, जानतवाद, आयऺण का याग, सटहरण


ता व असटहरण


ता की

फहस, भनोयॊजन के नाभ ऩय ष्ट्जस्भो का प्रदशतन कया अशरीरता भें ड


फोना, देश के नाभ ऩय िैक्स ऩय िैक्स रादने का

लसरलसरा, कान


न के नाभ ऩय डया-डया के जफयन धन वस


री का नगभा, प्राक


नतक घिनाओॊ की आड़ भें व फाज़ाय के
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