यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
फड़े से गेि ऩय तैनात स


यऺा कभी ने देखा औय दयवाजा खोर टदमा। भानलसक तौय ऩय फीभाय औय रािाय फ




गों की

इतनी फड़ी तादाद भैंन ेअस्ऩतारों भें बी नहीॊ देखी थी। रेककन अस्ऩतारों की तयह न तो इस आश्भ भें गॊदगी है औय

न ही कोई आऩाधाऩी। क


छ डाक्िय भयीजों का इराज कयते टदखे तो क


छ रािाय फ




गत खाभोशी से भ


झे देखते लभरे।

भैंन ेसोिा क्मा मही भहात्भा गाॊधी के ऩोत ेकान


बाई याभदास गाॊधी अऩनी ऩत्नी डाॉक्िय लशवा के साथ यहते हैं। आश्भ

के सॊिारत डा जीऩी बगत ने भ


झे भहात्भा गाॊधी के ऩोते कान


बाई से लभरवामा। वे भ


झे ऩहरे ही फता ि


के थे कक

85 सार की उम्र होने की वजह से वे औय उनकी ऩत्नी डडभेंलशमा मानी ब


रने वारी फीभायी से ग्रस्त हैं। उन्होंने मह बी

फतामा कक वैसे उनके व


द् आश्भ भें कोई ऐसा नहीॊ था, रेककन कान


बाई के लरए एक अरग से कभया तैमाय कयवाकय

एसी रगवामा गमा है ताकक उन्हें कोई टदक्कत न हो।

भैंन ेकान


बाई से सवार ऩ


छा कक आऩ अभेरयका भें नासा के वैऻाननक यहे हैं, आऩकी ऩत्नी डाक्िय थीॊ। इतन ेसारों फाद

आऩ बायत रौिे हैं, क्मा आऩको ऩैसे की तॊगी है। वे हल्का भ


स्क


याए, कपय फोरे आऩका सवार अच्छा है रेककन इसका

जवाफ भैं नहीॊ द


ॊगा। वे अऩन ेहारात के फाये भें ककसी से ििात नहीॊ कयत ेहैं। रेककन मह जरूय फताते हैं कक 2014 भें वे

अभेरयका से साफयभती रौिे। वहाॊ डेढ़ सार व


द् आश्भ भें यहे, कपय टदल्री आ गए हैं। वे कहते हैं कक गाॊधी जी वारा



जयात अफ नहीॊ यहा, रोग स्वाथी हो गए हैं।

उनकी ऩत्नी ने भीडडमा से द


यी फना यखी है। उनके कोई फच्िे नहीॊ हैं। इसी के िरते वे बायत रौिना िाहते थे,

अभेरयका भें फह


त अकेरे हो गए थे। उनसे लभरने वारों भें भीडडमा के अरावा वे दानदाता बी हैं जो व


द् आश्भ भें

राखों रुऩए दान देते हैं। कान


बाई से लभरने के फाद भैंने डाक्िय बगत से बी मही सवार ऩ


छा कक मह टदल्री कैसे आ

गए? वे त


यॊत फोरे इसभें आऩके िैनेर के यवीश क


भाय जी का फड़ा मोगदान है। उन्होंने एक डाक्म


भेंिी की थी, ष्ट्जसके

फाद रोगों ने इन्हें टदल्री के व


द् आश्भ भें जाने की सराह दी।

भैंन े ऩ


छा क्मा इन्हें आचथतक तॊगी है। उन्होंने कहा कान


बाई ने ज्मादा फतामा तो नहीॊ रेककन उन्हें नहीॊ रगता है कक

कोई तॊगी है। थोड़ी देय रुककय भैंने द


सये रािाय फ




गों की तयप देखा। इनभें से ज्मादातय को उनके अऩने ही महाॊ

छोड़कय िरे गए। कान


बाई की तयह अफ मह फ




गत बी अऩने फिऩन को महाॊ जी यहे हैं। इनके लरए ष्ट्जॊदगी ही सवार

है...औय सवार ही अफ इसका जवाफ बी...

भहात्भा गाॊधी के ऩौत्र कन



बाई गाॊधी का ननधन! ववन्रभ श्रदाॊजरी!


सत्माऩन ...... ... अन्धेये को िीयती ह



ई हभाये वैऻाननक-ववश्रेषण की सच्िाई का सफसे फड़ा एक

औय ज्वरॊत उदाहयण अप्रवासी बायतीम टदव्म नयेंर के रूऩ भें..........

इन्होंने सफसे ऩहरे अभेरयका भें यहकय रयसित कयी व सोलशमर भीडडमा पेसफ


क की श


रूआत उसी का प्रनतपर हैं ।

फौवद्क सम्ऩदा अचधकाय, द


सया देश अभेरयका होने के कायण व फाजायवाद औय द


सयों के स्वाथत के कायण इनको असरी

सम्भान, ऩहिान व रूतफा नही ॊलभरा | अभेरयका भें कान


नी रडाई रडने ऩय वहा ॊकी अदारत ने इनके कामों की ऩ


रिी

कयी व इसके लरए भ


आवजा बी टदरवामा ऩयन्त


"बायतीम" होना हय आववरकायक की तयह इन्हें बी श्ालभत कय गमा |

सत्माऩन ...... ...


देश ही नहीॊ द


ननमा ने देखा कक अॊतरयऺ अन


सन्धान केंर की अग्रणी भाने जाने वारी अभेरयका की सॊस्था नासा भें
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