यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
को आधाय फनाते है | मटद क


सी गई तो प्रबावशारी हस्ती का तभगा िरा गमा | सीधे-सीधे महा तो क


सी प्रबावशारी

है वो सच्िाई जाटहय हो गई | अनतलशघ्र क


सी से जाने वारे अभेरयका के यारिऩनत फयाक ओफाभा का अफ इनकी लरस्ि

भें स्थान देख रे तो आऩको बी तेर की धाय सभझ भें आ जामेगी |

भाना कोई ऩदालसन व्मष्ट्क्त कान


न, ननमभों, ऩयॊऩयाओॊ, भानवीम भ


ल्मों व धालभतक रयवाजों को तोड़ता है ष्ट्जसको साये

रोग अन


सयण कयते है तो वह व्मष्ट्क्त अऩने आऩ रोकवप्रम हो गमा | मटद कोई ऩदालसन व्मष्ट्क्त यारि के फजि को

घािे भें डारें, ववदेशी कज़त देश ऩय िढ़ा दे व कई तयह की कान


नी छ


ि दे दे औय रोगो भें ऐन-केन प्रकाय से भ


फ्त भें

सयकायी ऩैसा फाॊिे तो वह रोकवप्रम हो ही गमा |

मटद व्मष्ट्क्तवाद को आधाय भानकय आकरन कयना है तो व्मष्ट्क्तमों को ि


नो ऩदालसन रोगो को क्मो? इसभें िमन का

आधाय मह फनता है ककसने ऩद के अन


रूऩ ऩ


यी तयह ननवातह ककमा मा नहीॊ | द


ननमा की फात कयनी है तो साये देशों के

प्रधानभॊिी व यारिऩनत ऩदो का एक साथ त


रनात्भक ववश्रेषण कयो व देखो की ककसने द


ननमा को एक कयने व उस े

ववकलसत कयने का कामत ककमा है |

इस तयह के आकरन व्मष्ट्क्त के ऩ


ये जीवन ऩय होते है न की उस अल्ऩ सभम के अॊतयार ऩय जफ उसके ऩास

जवाफदेही का कामत हो व अऩनी सभझ औय स


झफ


झ से जनता के टहत भें ननणतम रेने की ऩयीऺा िर यही हो व बी ऩद

की गरयभा फनामे यखने के साथ......

इस तयह का िमन व नम्फयों की लरस्ि ववऻान के तकत ऩय िाि


कारयता, अधॊ बष्ट्क्त, सता-रोर


ऩता व अऩना उल्र


सीधा

कय कोई न कोई ननजी पामदा उठाने की श्ेणी भें आता है |

मह अवॉडत मा द


ननमा का ठप्ऩा सॊस्थामे/सॊगठन देती है ष्ट्जनका कोई स्तय ननधातरयत नहीॊ है व फाजायवाद ऎसा फनामा



आ है कक उससे ज


ड़े रोग अऩने द


सये धन्धे बी िराते है | ष्ट्जससे सीधे-सीधे वऩछरे दयवाजे से घ


स भराई िािने का

श़ ऩैदा होता है |

जफ शीयष् व ष्ट्जम्भेदाय व्मष्ट्क्त सभम यहते साभाष्ट्जक जीवन के लरए फडी सोि नहीॊ यखता हैं तो हय जगह अरग-

अरग स्तय की सोि यखने वारे व्मष्ट्क्त ख


द पैंसरे रेकय शाॊनत व सद्भावना नहीॊ यामता ही पैराते हैं । इस ववश्रेषण

को उसी तयीके से सभझे |

साइॊटिकपक-एनालरलसस ...... ... - -


जहाॊ र्ार-र्ार ऩय क



सी पसामे उल्र


कयते है फसेया, वो बायत देश है भेया!


ऽफय: JNU भें रगे देशरोही नाये व उस ऩय अचधकाॊश ष्ट्जम्भेदायो की ररकाय

JNU (जवाहयरार नेहरु म


ननवलसतिी) भें देशरोही नाये रगने के फाद यातों-यात देश/यारि का लसफ़त ऻान फाॉिन े वारे







तते की तयह ननकर आमे जो सड़ी-गरी सोि व सभम की रगाताय फढ़ती िहनी से ि


िे ह


मे सड़े-गरे टहस्सो ऩय उगे

थे | जहाॊ जानतवाद ने खाद का काभ कया तो रोकतॊि ऩय याज "नीनत" की रगाताय फारयश ने टदन द




नी यात िौग


नी

ववद्त कयवा डारी, अफ मह खयऩतवाय की तयह कई लशऺण सॊस्थाओॊ को अऩनी िऩेि भें रे यहे है |
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