biranishri
(Biranishri)
#1
को आधाय फनाते है | मटद क
ु
सी गई तो प्रबावशारी हस्ती का तभगा िरा गमा | सीधे-सीधे महा तो क
ु
सी प्रबावशारी
है वो सच्िाई जाटहय हो गई | अनतलशघ्र क
ु
सी से जाने वारे अभेरयका के यारिऩनत फयाक ओफाभा का अफ इनकी लरस्ि
भें स्थान देख रे तो आऩको बी तेर की धाय सभझ भें आ जामेगी |
भाना कोई ऩदालसन व्मष्ट्क्त कान
ू
न, ननमभों, ऩयॊऩयाओॊ, भानवीम भ
ू
ल्मों व धालभतक रयवाजों को तोड़ता है ष्ट्जसको साये
रोग अन
ु
सयण कयते है तो वह व्मष्ट्क्त अऩने आऩ रोकवप्रम हो गमा | मटद कोई ऩदालसन व्मष्ट्क्त यारि के फजि को
घािे भें डारें, ववदेशी कज़त देश ऩय िढ़ा दे व कई तयह की कान
ू
नी छ
ू
ि दे दे औय रोगो भें ऐन-केन प्रकाय से भ
ु
फ्त भें
सयकायी ऩैसा फाॊिे तो वह रोकवप्रम हो ही गमा |
मटद व्मष्ट्क्तवाद को आधाय भानकय आकरन कयना है तो व्मष्ट्क्तमों को ि
ु
नो ऩदालसन रोगो को क्मो? इसभें िमन का
आधाय मह फनता है ककसने ऩद के अन
ु
रूऩ ऩ
ु
यी तयह ननवातह ककमा मा नहीॊ | द
ु
ननमा की फात कयनी है तो साये देशों के
प्रधानभॊिी व यारिऩनत ऩदो का एक साथ त
ु
रनात्भक ववश्रेषण कयो व देखो की ककसने द
ु
ननमा को एक कयने व उस े
ववकलसत कयने का कामत ककमा है |
इस तयह के आकरन व्मष्ट्क्त के ऩ
ु
ये जीवन ऩय होते है न की उस अल्ऩ सभम के अॊतयार ऩय जफ उसके ऩास
जवाफदेही का कामत हो व अऩनी सभझ औय स
ु
झफ
ु
झ से जनता के टहत भें ननणतम रेने की ऩयीऺा िर यही हो व बी ऩद
की गरयभा फनामे यखने के साथ......
इस तयह का िमन व नम्फयों की लरस्ि ववऻान के तकत ऩय िाि
ु
कारयता, अधॊ बष्ट्क्त, सता-रोर
ु
ऩता व अऩना उल्र
ू
सीधा
कय कोई न कोई ननजी पामदा उठाने की श्ेणी भें आता है |
मह अवॉडत मा द
ु
ननमा का ठप्ऩा सॊस्थामे/सॊगठन देती है ष्ट्जनका कोई स्तय ननधातरयत नहीॊ है व फाजायवाद ऎसा फनामा
ह
ु
आ है कक उससे ज
ु
ड़े रोग अऩने द
ू
सये धन्धे बी िराते है | ष्ट्जससे सीधे-सीधे वऩछरे दयवाजे से घ
ु
स भराई िािने का
श़ ऩैदा होता है |
जफ शीयष् व ष्ट्जम्भेदाय व्मष्ट्क्त सभम यहते साभाष्ट्जक जीवन के लरए फडी सोि नहीॊ यखता हैं तो हय जगह अरग-
अरग स्तय की सोि यखने वारे व्मष्ट्क्त ख
ु
द पैंसरे रेकय शाॊनत व सद्भावना नहीॊ यामता ही पैराते हैं । इस ववश्रेषण
को उसी तयीके से सभझे |
साइॊटिकपक-एनालरलसस ...... ... - -
जहाॊ र्ार-र्ार ऩय क
ु
सी पसामे उल्र
कयते है फसेया, वो बायत देश है भेया!
ऽफय: JNU भें रगे देशरोही नाये व उस ऩय अचधकाॊश ष्ट्जम्भेदायो की ररकाय
JNU (जवाहयरार नेहरु म
ू
ननवलसतिी) भें देशरोही नाये रगने के फाद यातों-यात देश/यारि का लसफ़त ऻान फाॉिन े वारे
क
ु
क
ु
भ
ु
तते की तयह ननकर आमे जो सड़ी-गरी सोि व सभम की रगाताय फढ़ती िहनी से ि
ू
िे ह
ु
मे सड़े-गरे टहस्सो ऩय उगे
थे | जहाॊ जानतवाद ने खाद का काभ कया तो रोकतॊि ऩय याज "नीनत" की रगाताय फारयश ने टदन द
ु
ग
ु
नी यात िौग
ु
नी
ववद्त कयवा डारी, अफ मह खयऩतवाय की तयह कई लशऺण सॊस्थाओॊ को अऩनी िऩेि भें रे यहे है |