biranishri
(Biranishri)
#1
अचधकाॊश रोग जो ननिे से ऊऩय तक ष्ट्जम्भेदायी वारे ऩदो ऩय फैठे थे वो भीडडमा / यैरी / सबाओॊ के भाध्मभ से देश
के नाभ ऩय अऩना िेहया िभकाने के लरए आ गमे ऩय िेहये के वऩछे टदभाग ने सफक
ु
छ ग
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ड़-गोफय कय डारा | मे भ
ु
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ऻान भें देश / यारि का अथत सभझा यहे थे ऩयन्त
ु
जो असॊवैधाननक, अनैनतक, अभमातटदत व अन्मानमक नाये रगे वो
सबी एक-एक कयके स
ु
ना यहे थे |
मे वही ह
ु
आ की कोई व्मष्ट्क्त "ऩोऩि" के नाभ से चिढता है तो आऩ घ
ु
भ-घ
ु
भ कय प्रत्मेक व्मष्ट्क्त के ऩास रे जामे औय
घ
ु
भा-कपया के 10 - 15 फाय "ऩोऩि" फोरकय उसे ऐसा नहीॊ कहने की अऩनी प्रनतऻा दोहयामे व साभने वारे को उस े
"ऩोऩि" न कहने का कहे |
देश ववयोधी नाये रगना इस फात का प्रतीक है कक वहा ऩय प्रत्मऺ व अप्रत्मऺ रूऩ से वो लशऺा दी जा यही थी जो ऩेड़
की उस डारी को ववऩयीत टदशा भें किवाती है ष्ट्जस ऩय वो स्वमॊ फैठा है |
इस सभस्मा का सभाधान बी इसी टदशा भें अववयर फहकय कया जा सकता था जो लसफ़त देश व सॊववधान के कायण
JNU भे लशऺण के लरए जो स
ु
ववधामे, रयआमत दी जा यही है उसे ननष्ट्श्ित सभमा अवचध के लरए फॊद कय देते ताकक
अन
ु
बवी रोगो की लसख को न स
ु
न ठोकय खाकय चगयके लसख्नने वारे बी सभझ जाते | इसभे मककनन कई फेकस
ु
य छाि
एवॊ छािामे वऩस जाते ऩयन्त
ु
वे सबी अप्रत्मऺ रूऩ से दोषी है ष्ट्जन्होंने अन्दय ही अन्दय ऐसी गनतववचधमो के पेरव के
सभम अऩने आख, नाक, कान फॊद कय लरमे |
भीडडमा ने सि टदखाने के नाभ ऩय व तथाकचथत वोि-फैंक से चिऩके ष्ट्जम्भेदायो के साथतक ननणतम रेने की व्माक
ु
रता भें
इन नायो को हजायो फाय रगवा डारे | अऩनी डडफेि भें मह लसफ़त अलबव्मष्ट्क्त की स्वतॊिता ऩय आकय रिक गमे | हभन े
17 लसतॊफय 2015 को साइॊटिकपक-एनालरलसस ""नई श
ु
रुआत भीडडमा के द्वाय से" से प्रस्त
ु
त कड़ा था ष्ट्जसभें घय की
दहरीज़ रो राॊगनत, न्मानमक व्मवस्था को ढेगा फताती, देश के प्रनत तन, भन, धन, के सभऩतण का भखौर उडाती
"अलबव्मष्ट्क्त की आजादी" को रक्ष्भण येखा के दामये भें फनामे यखने का उऩाम था |
मटद अचधकतय भीडडमा (वप्रिॊ , इरेक्िॉननक, सोलसअर) ने क
ु
सी ऩय फैठे व चिऩके यहने वारे रोगो को ही ऻानी सभझन े
की ब
ू
र ना कयी होती तो अऩने को टदन भें फाय-फाय यारिीम फताने वारे, ईभानदाय एवॊ सत्म ननरठा से यारिीम वारा
काभ कयके फता ि
ु
के होते |
देशव्माऩी नायों के अऩयाध भें ऩकड़ा एक छाि को जो छाि-सॊघ का अध्मऺ था फस मही यारिीम सोि एक ऩर भें
आसभान से जभीन ऩय आ गई क्म
ू
ॉकक वो अफ व्मष्ट्क्तवादी हो ि
ु
की थी | अफ आऩ सभझ ि
ु
के होंगे की राखों भें पीस
रेन ेवारे व याजनैनतक ऩाटितमों से चिऩके यहने वारे चगने-ि
ु
ने वकीर कयते क्मा है?
मटद यारिीमरोह का भाभरा छाि-सॊघ सॊगठन व उसके अध्मऺ एवॊ अन्म ऩद ऩय रगाते तो दोवषमो को न्माम के तयाज
ू
से कोइ नहीॊ फिा ऩाते | इससे क
ु
सी ऩय फैठे यहने वारे सबी अऩने कततव्म के प्रनत ष्ट्जम्भेदाय हो जाते अन्मथा एक
सभमा अवचध भें न्मानमक तौय ऩय दोषी औय बायत-यारि अजय-अभय हो जाता |
इसलरए रोकतॊि की प्रत्मेक िहनी ऩय क
ु
सी पसामे जो उल्र
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फैठे है वो जनता को बी उल्र
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फनाने के लरए एक मा दो
तीन िेहयों को आगे कयके वऩछे के अॊधकाय भें छ
ु
ऩ गए |
अदारत ने इस घिनाक्रभ के जो दोषी व्मष्ट्क्त आमे उन्हे कटह शतो के आधाय ऩय जभानत दी ष्ट्जनभें म
ु
वा होना, लशऺा