यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
बायत भें गामो का भाॊस के लरए ़त्र का जन्भ 1000 AD के सभम श


रू ह


आ | इॊशानी सभ्मता का ववकास जॊगर भें

जानवयो के बाॊनत यहने व लशकाय कयके भाॊस खाने से ही ह


आ है | सभम के कोनसे बाग भें धभत एवॊ सभ्मता का

ववकास ह


आ उसने ही उसे उस सभम की ऩरयष्ट्स्थनत के आधाय ऩय ताककतक रूऩ से जामज औय नाजामज कहा |

अचधकाॊश धालभतक भ


द्दो की तयह मह बी "सभम" के पेय भें उरझ गमा क्म


कक वह तो आगे फढ़ गमा औय हभन े

आकरन की सोि को वाही रॉक कय टदमा |



धारू जानवय इन्शानो की बाॊनत सभझदाय नहीॊ है अन्मथा वे बी ववधामको औय साॊसदों की बाॊनत याजऩथ ऩय िरकय

यारिऩनत भहोदम को अऩनी चगनती कयवात ेव बैसो के फयाफय कारे अऺय फनाकय सभझाते की हभाया भाॊस खाकय एक

यात ग


जायनी है मा ऩ


यी ष्ट्जॊदगी द


ध, दही, घी, भराई खाकय अऩना भाॊस फढ़ाना है | गरे भें िाइमो को औय िाइि कय

"भैने बी गौ भाॊस खामा" का योऩ जाड़न ेवारे उच्ि लशक्षऺत रोग ऩाॊिवी पेर ननकर यहे है जो भ


गी को कािकय एकफाय

भें ही सये अॊडे रेने तो ि


ि ऩड़ते है |

गौ हत्मा के टहसॊ क ववडडओ, बड़काऊ फजनफाजी, इन्शानो से भायऩीि, धालभतक स्थरों ऩय भाॊस को पेक खोखरी फहाद


यी

के न


स्खों, धभो की कियता का िाद्दय, क्रोध भें औय अचधक कयने का ज




न, अऩनी सॊख्मा के दभ ऩय फात भनवाने की

अक्कड, ख


न से ख


न को साफ़ कय डारने की सभझ गाम व अन्म द


धारू ऩश


ओ का यनतबय बी बरा नहीॊ कय ऩामेगी

इसके ववऩयीत नई ऩीढ़ी को टहसॊ क जरूय फनामेगी |

फीप..... गौ भाॊस..... Go भाॊस...... Go Mars कयते ह


ए इन्शानो को िन्रभा से बी आगे Go Mars (भॊगर) तक

जरूय रे जाएगी | इस फीि ख


न के ननकरते येरों ने िन्रभा को ढक टदमा तो सबी धभो के न जाने ककतने रयवाज,

सभ्मताएॉ, भान्मतामे धवस्त हो जामेगी |

इसे "आस्था के ववऻान" को क


िरता "ववऻान का बौनतकवाद" कहते है |

इसके भाध्मभ से तकों की अरग बाषाशैरी देखे जो हय प्रनतकक्रमा को अच्छा - अच्छा कहकय अष्ट्न्तभ ऩडाव ऩय रे

जाकय प्रनतकक्रमा देने वारे को सभझा यही हैं कक अॊत भें आऩके हाथ भें क्मा आमेगा?

साइॊटिकपक-एनालरलसस ...... ... - -


गौ-भाॊस गौ-भाॊस क्मा कयते हो?


खफय:- दसो टदशाओ भें पैरता गौ-भाॊस का फवॊडय


ष्ट्जसे देखो वो गौ-भाॊस के ऩीछे ऩड़ा है न तो अथतव्मवस्था की सभझ है, न ग्रोथ येि की अक्कर औय न ही फढ़त े

ववकास भें ववऻान की प्रगनत की फस न्माम की भ


नत तकी तयह आखे छ


ऩा कय बफना नहामे धोमे ऩप


तमभ रगामे ऩीछे ही

ऩड़े है |

इन रोगो को कौन सभझामें मटद गामे नहीॊ यही तो द


ध बफरक


र फन्ध थोड़ी हो जामेगा बैसे तो है जो दस सार तक

आयाभ से ननकर देगी उसके फाद की क्मा हभने फह


त प्रगनत कय री है काष्ट्स्िक सोड़े, म


रयमा खाद व सफ़ेद सपेदे से

िामे ष्ट्जतना द


ध ि


िककमो भें फना डारेंगे | द


ध से तो लसपत ऩैि बयता है व क


छ के घयो का ि


ल्हा जरता है ऩय नमे

वारे द


ध से भन की त


रणा, धन की प्मास, घ


णा, रोब, रारि, टदभाॊग भें उठे अश्रीर एवॊ अनैनतक वविायो से सॊत


ष्ट्प्त
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