यदि मैं राष्ट्रपति होता!

(Biranishri) #1
27 भाित, 2017 के वैऻाननक-ववश्रेषण "रोकतॊि ऩय रगा ि


नावी-ग्रहण खत्भ ह


आ!" भें ऩहरे ही स्ऩरि लरखा था व

उसभे आज की घिनाओ जो गलरमों, बद्दी टिऩणणमो व जातीम औय धालभतक उम्भाद से पैराई जा यही है उससे ऩहरे ही

सिेत कय टदमा था |

इस ववश्रेषण के फाद बी कोई कदभ नहीॊ उठामे गमे ष्ट्जसका ऩ रयणाभ है वततभान भें सॊवैधाननक तौय ऩय देश की

भालरक जनता को यैलरमों भें फ


राकय उन्हें भॊि से द


सयो के नाभ ऩय बद्दी, अश्रीर व अबर बाषा ऩयोसना |

...... रोकसबा व ककसी बी ववधानसबा का ि



नाव ऩ


या होता हैं तफ इसे द


फाया ऩोस्ि कय देते हैं । ववऻान के

लसद्ाॊतो को ककसी एक याजनैनतक दर से कोई भतरफ नहीॊ होता क्मोंकक उद्देश्म याजनैनतक दर नहीॊ रोकतन्ि ननधातरयत

हो ि


का हैं |

बायत के सॊवैधाननक ऩदों ऩय फैठे व ऩदों ऩय कामत कय ि


के भाननीम बी भान ि


के हैं कक धीये -धीये होता ह


आ अफ फड़ी

तेजी से बायत का रोकतन्ि बफखय यहा हैं / ववघटित हो यहा हैं / ि


ि यहा हैं / कभजोय हो यहा हैं ।

साइॊटिकपक-एनालरलसस ...... ... - -


रोकतॊत्र फचाओ के शोयग



र व प्रदशषन से टदख यहे बववष्म के अॊधकाय भें ससपष एक ही प्रकाश


की फकयण है आऩका वैऻाननक-ववश्रेषण


खफय:- प्रॊधानभॊिी सभेत कई सॊवैधाननक ऩदों ऩय फैठे रोगो क बायत फिाओ के लरए एक टदन का उऩवास


सत्ता व सॊवैधाननक ऩदों ऩय फैठे रोग कहने रगे व उऩवास कय वतभत ान व्मवस्था का साॊकेनतक ववयोध कय बायत

फिाओ की ग


हाय रगामे | ववऩऺ की ब


लभका अदा कय यहे सॊवैधाननक ऩदों ऩय कामतयत साॊसद , ववधामक बी योड ऩय

ववयोध कये, कैंडर भाित ननकारे, उऩवास कये व सॊववधान के अन


साय स्थावऩत सयकाय से सभस्मा ऽत्भ नहीॊ होने का

योना योमे |

सॊसद का सि िरे ही नहीॊ व सत्ता एवॊ ववयोधी ऩऺ फायी-फायी से फाहय आकय धयना व ववयोध प्रदशतन कये | रोकतॊि के

भॊटदय से भटहभाभॊडडत कये कपय उसभे ऩ


जा ऩाढ़ ना होने दे औय उसके ऊऩय िढ़ कय नाये व ववयोध प्रदशतन हो अथाततत

रोकतॊि के कान


न अप्रबावी, भ


ल्महीन, तकतहीन एवॊ अप्रासॊचगक कयाय टदखामे जा यहे हो |

उच्ितभ न्मामारम के न्मामाधीश फाहय ननकर ऩ


यी जनता से हाथ जोड़ न्माम व्मवस्था को फफातद होने से फिाने की



हाय रगाते हो | तायीख ऩय तायीख से जनता को न्माम लभरने भें वषो रगे , एक अऩयाध के लरए अभीयो व प्रबावी

रोगो के लरए अरग भाऩदॊड व गयीफो व ननसाम रोगो के लरए अरग भाऩदॊड का आबास होता हो , वकीर ख


द ववयोध

प्रदशतन से अदारती लसस्िभ की ऩोर खोर यहे हो |

टदल्री भें ननबतमा येऩ काॊड के फाद से वततभान भें कठ


आ व उन्नाव तक सयकायें फदर गई जो ववऩऺ भें थे वो ऩऺ भें

आ गमे व जो ववऩऺ भें थे वो ऩऺ भें आ गमे ऩयन्त


मे रुकने का नाभ नहीॊ रे यहे | हय फाय आभ जनता को सड़क

ऩय ननकरना ऩड़ता हो | हभेशा अऩयाधी को सजा देना िेढ़ी खीय साबफत हो यहा है अथाततत लसस्िभ की कभी मा उसके

पेर हो जाने का सि उजागय कय यहा है |

सत्ता भें एक ऩािी की सयकाय जाती है तो द


सयी ऩािी की सयकाय आ जाती है ऩयन्त


सभस्माए जस की तस फनी
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