यहती है कपय ववयोध होता है व द
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फाया ऩहरी ऩािी की सयकाय आ जाती है | इस बफि नेता सत्ता की र
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ि भें थ
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क के
िाि जाने के भ
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हावये को सत्मावऩत कय सदैव ववऩऺ खेभे से ऩऺ वारे खेभे भें घ
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भने व ऐशो आयाभ कयने िरे जाते है
| इस ऩाॊि वषत के ि
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नावी बॎवय भें फ़स ि
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की जनता ऩ
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छ यही हो की इसका उऩाम लसस्िभ मा रोकतॊि भें क्मा है?
भीडडमा का क्मा कहना उसके ही रोग ख
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द ष्ट्स्िॊग कयके स्वमॊ फताते है कक ऩैसो के रारि भें खफये कपक्स कयने व
ककसी बी भाभरे को प्रबाववत कयने के लरए भीडडमा हाउस जीब से राय िऩकाते ह
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ए हय घडी हय ऩर तैमाय यहती है |
फॉरीव
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ड व ववऻाऩन की कभाई के िक्कय भें सफसे ज्मादा व्मष्ट्क्तवाद का जहय मही पैरा यहे हो |
सॊववधान के अन
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साय रोकतॊि के सॊयऺक यारिऩनत आजादी के 70 वषत से अचधक ननकर जाने के फाद बी मे आज तक
भ्रलभत ग
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राभी भें जी यहे हो उन्हें फोरने ऩय बी न भार
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भ अऩने ककन आकाओ का डय रगता है | देश के रोग ववयोध
स्वरूऩ योड ऩय उतय आते है ऩयन्त
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मे न भार
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भ ककस सॊवैधाननक प्रोिोकॉर भें यारिऩनत-बवन से फाहय ही नहीॊ ननकरते
औय जफान से एक शधद बी नहीॊ ननकरता है |
कामतऩालरका, ववधानमका, न्मामऩालरका, भीडडमा, आभ जनता व यारिऩनत सबी मही दशात यहे है की बायत का लसस्िभ
पेर मा असपर हो यहा है उससे सभस्माएॉ हर नहीॊ हो यही है | ककसी के ऩास कोई उऩाम नहीॊ है लसपत बाषण , नाये
फाजी व तोड़पोड़ के अराव भ
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ॉह से क
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छ ननकरता है तो जनता को ही गालरमा देते टदखते है |
इसलरए हभने ऩहरे ही 2011 भें अऩने 2004 के अववरकाय असरी ए .डी.लसरयॊज की पाइर के साथ आज के
रोकताष्ट्न्िक व्मवस्था के ववकलसत रूऩ का एक प्रारूऩ यारिऩनत को बेज (Letter Reference
No.P 1 /D/ 1908110208 .Dated 19 - 08 - 2011 ) टदमा था | ष्ट्जससे आज की सबी भहत्वऩ
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